वर्ष 2020 में लापता का आकड़ा 333 था, जबकि वर्ष 2024 में यह 582 जा पहुंचा। वहीं सबसे बड़ी परेशानी और गंभीर बात है कि लापता होने में महिला वर्ग की संख्या अधिक है। इसे मानव तस्करी से नहीं जोड़ा जा सकता, लेकिन कुछ प्रकरण ऐसे भी आए जब बालिका और युवती को बेच दिया जाता है।
CG News: गंभीर समस्या
बालिकाओं को कोठा में बेचे जाने के भी प्रकरण सामने आ चुके हैं। साथ ही कई स्थानों पर उन्हें बंधक बनाकर काम कराया जाता है। ऐसे में लापता होने के विषय को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। पुलिस को ऑपरेशन मुस्कान जैसे अभियान को और गंभीरता व तेजी से करने की जरुरत है, ताकि जो अब तक लापता हैं उन्हें भी ढूंढा जा सके।
जिले में भी बड़ी संख्या में बालिका और युवतियां लापता हो रही है। अधिकतर बालिका व युवती को ढूंढ निकाला जाता है लेकिन हर साल 50 से अधिक लापता ही रहती है। बीते वर्ष 2024 में जिले से 582 लापता लोगों में 145 अब भी लापता है, जिसमें 82
महिला वर्ग हैं। इस पर पुलिस प्रशासन को गंभीरता दिखाने की आवश्यकता है।
हर साल 500 से अधिक लोग लापता हो रहे हैं जिसमें से 70 फीसदी महिला वर्ग होती है। इसमें 15 से 19 वर्ष की बालिका और युवती की संख्या अधिक है। इसके बाद 20 से 24 वर्ष की युवती और महिलाएं लापता होती हैं। 25 वर्ष से अधिक उम्र की शादीशुदा औरतें भी लापता होती हैं। इसमें से 70 प्रतिशत कुछ समय बाद स्वयं या फिर पुलिस इन्हें ढूंढकर घर पहुंचा देती है, लेकिन 30 प्रतिशत बालिका और युवती हर साल लापता रहती हैं।
बीते वर्ष ढूंढ निकाले…
ऑपरेशन मुस्कान के तहत जिले में 1 जनवरी 2024 से 15 दिसंबर तक कुल 131 बच्चे जिसमें 17 बालक और 114 बालिकाएं गुमशुदा दर्ज किए गए थे। पुलिस की योजनाब प्रभावी कार्यप्रणाली के चलते 17 बालक और 102 बालिकाएं को सुरक्षित खोजकर उनके परिजनों के सुपुर्द किया गया। तीन वर्ष में 236 अब भी लापता
बीते तीन वर्ष के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि गुमशुदा की संख्या बढ़ती जा रही है। वर्ष 2022 से 2024 के बीच तीन साल में ही 1603 लोग लापता हुए। इसमें
महिला वर्ग की संख्या 1011 है। इसमें अब तक 870 अपने घर लौट चुकी हैं, लेकिन 141 बालिका, युवती और महिलाएं अपने घर नहीं लौटी हैं जो बेहद गंभीर विषय है। वहीं तीन वर्ष के दौरान कुल 589 पुरुष वर्ग लापता हुए जिसमें 494 मिल गए लेकिन 95 अब भी लापता ही हैं।
युवाओं में जागरुकता जरुरी
ऐसे अधिकतर मामले देखने में आ रहे हैं कि बालिकाएं प्रेम-प्रसंग के चक्कर में युवक या किसी पुरुष के साथ भाग जाती है। परिजनों की शिकायत के आधार पर पुलिस ढूंढती है। ढूंढे जाने पर अधिकतर मामलों में परिजनों के दबाव पर नाबालिग बालिका की ओर रिपोर्ट भी दर्ज कराया जाता है कि युवक द्वारा बलात्कार किया गया। इसके चलते युवक को
गिरफ्तार कर जेल भेजा जाता है। चूंकि लड़की नाबालिग होती है इसलिए उसकी रजामंदी को नहीं माना जाती। ऐसे में युवाओं को अधिक जागरुक रहने की आवश्यकता है।
प्रेम प्रसंग प्रमुख कारण
वैसे तो लापता होने के कारण कई कारण है, लेकिन कबीरधाम जिले में लापता होने के प्रमुख रूप से प्रेम प्रसंग ही है। इसके अलावा घरेलू विवाद, ससुराल में मारपीट व प्रताड़ना भी है।
बालिका और युवतियों के लापता होने के प्रमुख कारण प्रेम-प्रसंग है। कम उम्र में ही वह गांव के ही युवक के साथ या फिर गुड़ फैक्ट्री, ईंट भट्ठा में काम के दौरान प्रेमी के साथ, ट्रक ड्राइवर या फिर बोरवेल में काम करने वालों के साथ अन्य शहर भाग जाते हैं। कई शादी कर लेते हैं जबकि कई वापस लौटे आते हैं या फिर पुलिस उन्हें ढूंढ निकालती है।
बालिका व युवतियां अधिक लापता
वर्ष 2024 में जिले के विभिन्न थानों में 582 लोगों के गुमशुदगी के रिपोर्ट दर्ज कराए गए। इसमें 352 महिला वर्ग और 229 पुरुष शामिल हैं। महिलाओं में भी 10 से 14 वर्ष की 18 बालिकाओं के गुमशुदा की रिपोर्ट दर्ज किए गए। वहीं 15 से 19 वर्ष 211 युवती, 20 से 24 वर्ष की 176 युवती, 25 से 29 वर्ष की 51 युवती व महिलाएं लापता हुईं। इसमें 234 को पुलिस ने ढूंढ निकाला या फिर स्वयं ही घर पहुंच गईं, लेकिन 67 अब तक लापता ही हैं।