जिन दो वर्तमान सांसदों को पार्टी ने मौका दिया है उसमें राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के मौजूदा सांसद संतोष पांडेय का नाम भी शामिल है, जिसे लगातार दूसरी बार पार्टी ने मौका दिया है। राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में भाजपा ने 25 साल बाद किसी जीते हुए प्रत्याशी को दूसरा मौका दिया है। इससे पहले तक केवल एक बार जीते या हारे हो, चेहरा बदल जाता रहा है, लेकिन इस बार पार्टी ने अपने पुराने फैसलों को बदलते हुए निर्णय लेकर मतदाताओं को व कार्यकर्ताओं को चौकाया है। भाजपा अपना प्रत्याशी घोषित कर कांग्रेस से एक कदम आगे निकल चुकी है। इससे प्रत्याशी को प्रचार-प्रसार के लिए अधिक समय मिल चुका है।
Competition on high profile seat of Lok Sabha: साल 2019 के प्रचंड मोदी लहर में मौजूदा सांसद संतोष पांडेय 1 लाख 11 हजार 966 मतों से जीते थे, जबकि कांग्रेस के भोलाराम साहू को सबसे कमजोर प्रत्याशी माना जा रहा था, बावजूद इसके कम वोटों से जीतने का असर दिखा था। इस चुनाव में पार्टी ने फिर से संतोष पांडेय को मौका दिया है, जो पिछले चुनाव की तुलना में उनके लिए आसान नहीं होगा। कार्यकर्ताओं में दबी जुबान में विरोध होने लगा है। हालांकि इसे शुरूवाती दौर का विरोध माना जा रहा है। बाद में सभी को मना लिया जाएगा।
2000 के बाद से भाजपा का कब्जा राजनांदगांव लोकसभा सीट पर वर्ष 1952 से लेकर 2014 तक 16 बार चुनाव हुए। इनमें से ज्यादातर नतीजे कांग्रेस के ही पक्ष में रहे। वहीं वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश के अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से यहां 2007 में एक उपचुनाव के अलावा तीन लोकसभा चुनाव हुए हैं। 2007 के उपचुनाव को छोड़ दिया जाए तो 1999 के बाद से सभी चुनाव 2004, 2009, 2014 और 2019 में राजनांदगांव लोकसभा सीट पर भाजपा का ही कब्जा रहा।
आठ विधानसभा की हिस्सेदारी Election on Rajnandgaon Lok Sabha seat: राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में राजनांदगांव और कबीरधाम दोनों जिले आते हैं। राजनांदगांव में छह और कबीरधाम में दो विधानसभा सीटें हैं। राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत में आने वाली विधानसभा की आठ सीटों में कवर्धा, पंडरिया, राजनांदगांव, खैरागढ़, डोंगरगांव, डोंगरगढ़, खुज्जी, मानपुर-मोहला शामिल हैं।
विधानसभा में हार जीत का दौर चलता रहा Competition between BJP and Congress: राजनांदगांव लोकसभा सीट इसलिए हाईप्रोफाइल है क्योंकि यहां से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सांसद रह चुके हैं। विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा को हार मिली, लेकिन वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी मिली।