लोगों का ऐसा मानना है कि श्रृंगवेरघाट से गंगा पार उतरने के बाद भगवान श्रीराम ने वन में अपनी पहली रात यहीं गुजारी थी। चरवा मंदिर के नजदीक एक बड़ा सा तलाब है। इसे आज भी लोग रामजूठा तालाब के नाम से जानते हैं। इसका नाम कुछ इस वजह से पड़ा है, वन गमन के समय भगवान श्रीराम यहां सुबह उठकर स्नान किए थे, इसलिए इस तालाब को रामजूठा कहते हैं।
यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि यह चरक ऋषि की तपोस्थली भूमि है। हालांकि यह पौराणिक स्थल स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की अनदेखी से उपेक्षित पड़ा है। यहां स्थानीय लोगों ने एक समिति का गठन किया है। कुछ सालों से इसके विकास की कवायद शुरू कर दी है।
हिंदू महासभा ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, लाल किले का नाम ‘भगवा किला’ किया जाए
कौशांबी का इतिहास बहुत प्राचीन है। इसके अनेक साहित्यिक प्रमाण मिलते है। शतपथ और गौपथ ब्राह्मणों में इसका उल्लेख अप्रत्यक्ष रूप से किया गया है। इन दोनों ग्रंथों से पता चलता है कि उद्दालक आरूणि का एक शिष्य कौशाम्बेय अर्थात कौशाम्बी का रहने वाला भी कहलाता था।उसके बाद इस स्थान का उल्लेख हमें महाभारत, रामायण, तथा हरिवंश पुराण में भी प्राप्त होता है। महाभारत के अनुसार कौशांबी की स्थापना चेदिराज के पुत्र उपरिचर वसु ने की थी। जबकि रामायण में इस नगरी को कुश के पुत्र कुशम्ब ने स्थापित बताया गया है।