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कटनी

साइबर फ्रॉड: थानों में शिकायतें सुनने तैयार नहीं अफसर, सिपाही-हवलदार चला रहे साइबर सेल!

Police is not registering FIR in cyber fraud

कटनीDec 02, 2024 / 09:27 pm

balmeek pandey

Rajasthan Patrika Cyber Crime News

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लाखों की ठगी की वारदात में भी एफआइआर दर्ज करने से कतरा रही पुलिस, आवेदन लेकर पीडि़तों को कर देते है चलता, महीनों चलती है जांच, न्याय की आस में भटक रहे लोग

कटनी. साइबर ठगी के मामलों में त्वरित कार्रवाई को लेकर पुलिस की सक्रियता पर सवाल उठ रहे है। थानों में अधिकारी ठगी से पीडि़त फरियादियों की शिकायतें सुनने तैयार नहीं है और उन्हें एसपी ऑफिस स्थित साइबर सेल का ठिकाना बता रहे है। साइबर सेल के भी बुरे हाल है। साइबर सेल भी सिपाही और हवलदारों के भरोसे चल रही है। हालांकि करीब डेढ़ माह बाद सोमवार को साइबर सेल के लिए अधिकारी की नियुक्ति कर दी गई है। प्रदेशभर में जहां साइबर अपराधों को देकर प्रदेश सरकार सहित पुलिस विभाग सक्रिय है वहीं जिले में हाल इसके विपरीत हैं। आलम यह है कि लाखों रुपए की ठगी के मामले में भी पुलिस एफआइआर दर्ज करने से कतरा रही है। ऐसा ही एक मामला माधवनगर थाना क्षेत्र का है।
जानकारी के अनुसार 28 सिंतबर 2024 को माधवनगर निवासी युवती ने थाने में लिखित शिकायत दी। बताया कि शेयर बाजार में निवेश करने के लिए उसे एम स्टॉक नामक एपलिकेशन इंस्टॉल किया था। इसमें ट्रेडिंग करने के लिए अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने होते थे। जिसे जालसाज रिचार्ज के रूप में मेरे ट्रेडिंग अकाउंट में डालते थे। जालसाज सोशल मीडिया के माध्यम से अकाउंट की जानकारी देते थे, जिसमें पैसे डालने होते थे। अलग-अलग अकांउट में मैंने 32 लाख रुपए ट्रांसफर किए और ट्रेडिंग शुरू कर दी। जिस ट्रेडिंग लिंक से मैने एप डाउनलोड किया उसमें अकाउंट में लाभ दिखता था। लाभ की राशि निकालने के लिए जब विड्रा करना चाहा तो रुपए नहीं निकले। पूछने पर बताया गया कि यह राशि निकालने के लिए 30 प्रतिशत सर्विस चार्ज देने होंगे। इसके बाद फिर एक खाते में रुपए डाले और राशि निकालने का प्रयास किया लेकिन रुपए नहीं निकले। सर्विस फीस देने के बाद जब रुपए निकाले तो वे नहीं निकले और कुछ ही समय बाद अकाउंट को ब्लॉक कर दिया गया, जिससे युवती को अपने साथ हुई ठगी की जानकारी लगी। युवती ने अलग-अलग खातों में करीब 32 लाख रुपए की राशि डाली थी। बताया जा रहा है कि युवती ने बैंक डिटेल्स सहित साइबर ठगों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी भी पुलिस को सौंपी थी लेकिन पुलिस ने अबतक एफआइआर नहीं की।
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डेढ़ माह से बिना प्रभारी साइबर सेल
जानकारी के अनुसार जिलेभर के साइबर ठगी के मामलों सहित अपराधिक प्रकरणों में पुलिस की टेक्नीकल सहायत के लिए संचालित साइबर सेल पिछले डेढ़ माह से प्रभारी विहीन है। यहां पहले निरीक्षक संदीप अयाची को प्रभार सौंपा गया था लेकिन डीएसबी का प्रभारी बना दिया गया। इसके बाद उप निरीक्षक उदयभान मिश्रा ने कमान संभाली लेकिन ट्रांसफर के बाद उन्हें 18 अक्टूबर को रिलीव कर दिया गया। इसके बाद से अबतक साइबर सेल प्रभारी विहीन है। हालांकि सोमवार को साइबर सेल के लिए अधिकारी की नियुक्ति कर दी गई है।
रेलवे इंजीनियर से 45.77 लाख की ठगी का भी नहीं खुलासा
ऑनलाइन ठगी के बड़े मामलों के निकाल में भी पुलिस पीछे है। 25 मई 2024 को रेलवे के मकैनिकल इंजीनियर ने हुई 45.77 लाख रुपए की ठगी के मामले में भी पुलिस अबतक ठगों तक नहीं पहुंच सकी है। जानकारी के अनुसार एनकेजे ऑफीसर कॉलोनी निवासी मकैनिकल इंजीनियर अरुण जोशी द्वारा 4 मार्च से 15 अप्रेल 2024 के बीच शेयर मार्केट में रुपए लगाने के लिए एक व्यक्ति से संपर्क किया। व्यक्ति को 45 लाख 77 हजार 853 रुपए भेजे। अज्ञात आरोपी ने उनसे रुपए तो ले लिए, लेकिन वह व्यक्ति शेयर मार्केट में रुपए नहीं लगाए। वापस मांगने पर रुपए भी नहीं लौटाए। रुपए न लौटाए जाने पर अरुण जोशी ने एनकेजे पुलिस से शिकायत की। रेलवे अधिकारी की शिकायत पर अज्ञात पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ धारा 420, 34 के तहत प्रकरण दर्ज करते हुए जांच शुरू की गई। जांच निरीक्षक स्तर के अधिकारी को सौंपी गई लेकिन अबतक पुलिस ठगों तक नहीं पहुंच सकी है।
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इस तरह की हो रही ठगी
शेयर बाजार में निवेश: ठग शेयर बाजार में रकम निवेश करने और कम समय में रकम दोगुनी करने का झांसा देकर लोगों को फंसा रहे हैं। ये लोग पहले निवेशकों का विश्वास जीतते हैं और फिर उनसे बड़ी रकम हड़प लेते हैं।
सरकारी योजनाओं का लाभ: ठग सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर भी ठगी कर रहे हैं। पीएम आवास, लाडली बहना, प्रसूति सहायता, छात्रवृत्ति, लॉटी आदि के नाम पर लोग विश्वास में आकर अपनी बैंकिंग डिटेल्स साझा कर रहे हैं, जिससे उनकी जमा पूंजी निकाल ली जा रही है।
सेक्सुअल एक्सटॉर्शन का ट्रेंड: अपराधी सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को अश्लील सामग्री भेजकर ब्लैकमेल करते हैं। युवती बनकर बात करते हैं और फिर डरा-धमका कर लोगों से रुपए ऐठ रहे हैं। डर कारण लोग भी रुपए जाम कर रहे हैं। बदनामी के कारण किसीको नहीं बता पा रहे।
डिजिटल एरेस्ट नया तरीका: इसके अलावा कुछ मामलों में ठग डिजिटल एरेस्ट का डर दिखाकर भी लोगों से पैसे ऐंठ रहे हैं। किसी पार्सल के पकड़े जाने, घर के सदस्य का अपहरण, संगीन अपराध में पकड़ लिए जाने का डर दिखाकर ठगी कर रहे हैं।
फर्जी ट्रेडिंग एप्स और डाट. एपीके फाइल्स: ठग ट्रेडिंग ब्रांड्स के नाम पर नकली एप्स और एप डाउनलोड के माध्यम से लोगों को लुभाते हैं। जब लोग इन एप्स को डाउनलोड करते हैं, तो उनके मोबाइल से गोपनीय जानकारी चुराई जाती है, जिसे बाद में ठगी के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
वर्जन
माधवनगर निवासी युवती के साथ 32 लाख की ठगी के मामले की जांच चल रही है। युवती के बाहर होने के कारण अबतक एफआइआर दर्ज नहीं की गई है। साइबर सेल के लिए उपनिरीक्षक स्तर के अधिकारी की आवश्यकता होती है। एसआइ रूपेन्द्र राजपूत को साइबर सेल प्रभारी नियुक्त किया गया है।
अभिजीत रंजन, एसपी।

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