कटनी

एक दूसरे को भेंट की कजलियां, छोटों ने बड़ों से पाया आशीष, गले लगकर भूले गिले-शिकवे

जिलेभर में धूमधाम से मनाया गया कजलियों का त्योहार, कोविड-19 के कारण उत्साह रहा फीका

कटनीAug 05, 2020 / 09:38 pm

balmeek pandey

एक दूसरे को भेंट की कजलियां, छोटों ने बड़ों से पाया आशीष, गले लगकर भूले गिले-शिकवे

कटनी. कजलियों का त्योहार मंगलवार को शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया गया। घरों में बोई गई कजलियों का शाम को विधि-विधान से पूजन अर्चन किया गया, इसके बाद उन्हें जलाशयों में विसर्जित किया गया। बता दें कि शहर में लल्लू भैया की तलैया में मेले का आयोजन होता था, लेकिन महामारी के कारण नहीं लग पाया। हालांकि माई नदी, कटायेघाट, मसुरहा घाट, मोहन घाट सहित अन्य जल स्रतों में लोगों ने कजलियों का विचर्जन किया। कललियां देवी-देवताओं को चढ़ाने के बाद लोगों ने एक-दूसरे को भेंटकर आशीर्वाद लिया। छोटों ने बड़ों से कजलियां प्राप्त का आशीष पाया। ग्रामीण क्षेत्रों में कजलियों का त्योहार काफी उत्साहपूर्ण माहौल में मनाया गया। इस दौरान जिन घरों के लोग किसी आपदा के कारण दुखी तो उनके खरों में बैठकर ढांढ़स बंधाया। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र बड़वारा, रोहनिया, बसाड़ी, पिपरिया कला, बरही, खितौली, सिनगौड़ी, विजयराघवगढ़, कन्हवारा, रीठी, बड़वारा, बिलहरी, सलैया, बाकल, बहोरीबंद आदि क्षेत्र में भी पर्व की धूम रही।

कन्हवारा में मना पर्व
कन्हवारा. कटनी जनपद क्षेत्र के ग्राम कन्हवारा में कजलियों का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। कजलियों विसर्जन लोगों ने अपने घर से शिव मंदिर के पास आकर तालाब में किया। कजलियां को विसर्जन किया और फिर अपने घर लौटकर एक दूसरे को भेंटकर पर्व की बधाई दी। बच्चों में कजलियों को लेकर खासा उत्साह रहा।

कजलियां त्योहार भी रहा फीका
उमरियापान क्षेत्र के ग्राम पिपरिया सहलावन सहित आसपास के गांव में हर साल की भांति इस साल कजलियों को गांव के मुहाने पर ताल-तालाबों में लेकर जाने की बजाय युवतियों ने अपने घर और मोहल्ले में ही इनकी पूजा-अर्चना की। साथ ही लोग बेहद करीब और शोक संतृप्त परिवार के लोगों से मिलने ही पहुंचे। महामारी के कारण त्योहार फीका-फीका रहा।

सिहुंड़ी बाकल में रही धूम
सिहुंड़ी बाकल. बहोरीबंद क्षेत्र के ग्राम सिहुंड़ी बाकल में भ कजलियों की धूम रही। यहां पर लोगों ने कजलियों का पूजन कर जलाशय में विसर्जित किया। इसके बाद लोगों ने एकदूसरे को भेंटकर पर्व की बधाई दी।


छोटों ने लिया बड़ों का आशीर्वाद
उमारियापान. रक्षाबंधन के दूसरे दिन मंगलवार को उत्साह पूर्व कजलियां का पर्व मनाया गया। शाम को तालाब, नहरों सहित जलाशयों में मेल मिलाप के पर्व की छटा देखी गई। घरों में बोए गए जवारों को महिलाएं, पुरूष, बच्चे जलाशय में विसर्जन करने पहुंचे। कजलियां पर्व के कारण नगर के विभिन्न देवालयों और मंदिरों में देवी-देवताओं को कजलियां चढ़ाने के बाद लोगों ने एक दूसरे को कजलियां भेंट की। इस अवसर पर लोगों ने कजलियों के माध्यम से बुजुर्ग एवं बड़े लोगों से आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं अपने हम उम्र लोगों के गले मिलकर अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना की। बड़े बुजुर्ग लोगों ने कजलियां लेकर आने वाले बच्चों को आशीर्वाद दिया। उमरियापान, ढीमरखेड़ा, सिलौंडी सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में कजलियां पर्व परंपरागत तरीके से मनाया गया। गांव की बुजुर्ग लक्ष्मी बाई झारिया ने बताया कि भारतीय संस्कृति में कजलियां पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन लोग कजलियों के माध्यम से अन्न को साक्षी रखकर मन के सभी मालिन्य भूलकर आपस में गले मिलते हैं। लोगों ने एक-दूसरे के घरों में पहुंचकर कजलियों का आदान-प्रदान किया।

कोरोना महामारी के चलते कजली मेला पर ग्रहण
स्लीमनाबाद. क्षेत्र के ग्राम कोहका स्थित हरिदास ब्रजधाम में रक्षा बंधन के दूसरे दिन लगने वाला कजली मेला पर कोरोना काल का ग्रहण लग गया। जिसके चलते इस वर्ष हरिदास ब्रजधाम मंदिर मे कजली मेला आयोजित नहीं हुआ। सैकड़ों वर्ष की पुरातन परंपरा पर इस वर्ष कोरोना वायरस बड़ी बाधा बन गया है। रक्षाबंधन के दूसरे दिन आयोजित होने वाले सदियों मेले का आयोजन गांव के लोग स्वयं करते थे। समूचे गांव में घर घर बोई गई कजलियां लोग अपने घरों से लाकर हरिदास मंदिर मे एकत्रित होते थे। जहां महिलाओं के द्वारा कजलियां गीत गाए जाते थे। मंदिर के पुजारी गुलाब यादव ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ जब मंदिर मे कजलियां महोत्सव नहीं मनाया गया।

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