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जिला अस्पताल प्रबंधन नहीं दे रहा ध्यान: मर्ज के दर्द के साथ डॉक्टरों के इंतजार की पीड़ा सहने विवश मरीज

ओपीडी नंबर तीन जिसमें कि नाक, कान, गला संबंधी रोगियों के लिए बनी है, वहां पर भी डॉक्टर नहीं थे। इसी प्रकार रूम नंबर ४ सामान्य ओपीडी में ताला पड़ा हुआ था। डॉक्टरों के न होने से मरीज भीषण गर्मी में तड़पते रहे।
कहीं वार्ड तो कहीं शिविर का चलता है बहाना- जब कतार में लगे मरीज नर्सिंग स्टॉफ से यह पूछते हैं, डॉक्टर साहब कहा हैं, तो कह दिया जाता है कि वार्ड के राउंड में हैं, या फिर शिविर में गए हैं। हैरानी की बात तो यह है कि जब ओपीडी का समय रहता है, उस दौरान तो कम से कम डॉक्टरों को बैठना चाहिए। वार्डों में इमरजेंसी मामले छोड़कर सुबह या फिर ओपीडी खत्म होने के बाद डॉक्टरों को दौरा करना चाहिए, लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा।

कटनीJun 29, 2024 / 10:34 pm

brajesh tiwari

कटनी. डॉक्टर्स के कमरे के अंदर मर्ज की समस्या के साथ पैर व कमर दुखने, थक जाने के कारण फर्श पर बैठी महिलाएं, गेट के बाहर डॉक्टरों के आने के लिए टकटकी लगाकर निहरतीं महिलाएं, नर्सिंग स्टॉफ से पूछती महिलाएं बेटा कब तक आएंगे डॉक्टर साहब, कतार में लगकर डॉक्टरों के आने का इंतजार करते दर्जनों महिला व पुरुष मरीज…। यह नजारा था शुक्रवार को जिला अस्पताल की ओपीडी का। भीषण गर्मी व उमस के चलते मरीजों की संख्या भी बढ़ी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के सिस्टम की लाचारी समय पर मर्ज कम करने की बजाय और बढ़ा रही है। दोपहर १२ बजे अस्पताल की ओपीडी में डॉक्टर ही नहीं थे। मरीज भीषण गर्मी में खासे परेशान हुए।
पत्रिका द्वारा शुक्रवार दोपहर जिला अस्पताल में मरीजों को मिलने वाली व्यवस्थाओं की पड़ताल की गई तो मनमानी सामने आई। सामान्य ओपीडी में एक भी चिकित्सक नहीं बैठे थे। कमरा नंबर पांच में आधा सैकड़ा से अधिक मरीज परेशान होते रहे। ओपीडी नंबर तीन जिसमें कि नाक, कान, गला संबंधी रोगियों के लिए बनी है, वहां पर भी डॉक्टर नहीं थे। इसी प्रकार रूम नंबर ४ सामान्य ओपीडी में ताला पड़ा हुआ था। डॉक्टरों के न होने से मरीज भीषण गर्मी में तड़पते रहे।
कहीं वार्ड तो कहीं शिविर का चलता है बहाना- जब कतार में लगे मरीज नर्सिंग स्टॉफ से यह पूछते हैं, डॉक्टर साहब कहा हैं, तो कह दिया जाता है कि वार्ड के राउंड में हैं, या फिर शिविर में गए हैं। हैरानी की बात तो यह है कि जब ओपीडी का समय रहता है, उस दौरान तो कम से कम डॉक्टरों को बैठना चाहिए। वार्डों में इमरजेंसी मामले छोड़कर सुबह या फिर ओपीडी खत्म होने के बाद डॉक्टरों को दौरा करना चाहिए, लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा।
अस्पताल प्रबंधन नहीं गंभीर- जिला अस्पताल में डॉक्टर वाकई में वार्ड में हैं या फिर कहीं और चले गए हैं, यह देखने वाला कोई नहीं है। कई डॉक्टर्स तो ऐसे हैं जिनको निजी क्लीनिक में मरीजों को देखने की जल्दी पड़ी रहती है। सभी डॉक्टर ओपीडी में बैठें, समय पर मरीजों की जांच हो व उपचार मिले, इस व्यवस्था को लेकर जिला अस्पताल प्रबंधन गंभीर नहीं है।
हर जगह मनमानी, फिर भी अनदेखी- जिला अस्पताल के अन्य ओपीडी का भी यही हाल रहा। मनोचिकित्सक भी ओपीडी में नहीं थे। नर्सिंग स्टॉफ का कहना था कि शिविर में गए हैं। एक्सरे रूम के बाहर बरामदा में दर्जनों मरीजों की भीड़ लगी थी, लेकिन गर्मी से बेहाल थे। यहां पर भी सिर्फ एक एक्सरे मशीन से काम चल रहा है। इसी प्रकार सोनोग्रॉफी सेंटर के बाहर भी महिलाएं जांच कराने के इंतजार में बैठी रहीं। शुक्रवार को सीएमएचओ डॉ. आरके अठया १३ सोनोग्राफी करके चले गए थे, इसके बाद मरीजों को समस्या हुई।
२४ घंटे होना है तैनाती- जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा को लेकर संजीदगी बरती जा रही है, लेकिन जिला अस्पताल में महिलाओं की देखरेख के लिए २४ घंटे डॉक्टर की तैनाती नहीं है। ओपीडी खत्म होने के बाद ऑनकॉल ही महिला डॉक्टर पहुंचती हैं। कई लोगों की ड्यूटी भी नहीं लगाई जाती। डॉक्टरों की मनमानी, गर्भवती महिलाओं व प्रसूताओं की उचित देखभाल न होने के मामले को पत्रिका ने प्रमुखता से उजगार किया है। जिसके बाद कलेक्टर अवि प्रसाद द्वारा मेटरनिटी वार्ड में २४ घंटे डॉक्टर की तैनाती के लिए व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है।
कतार छोड़ने से कट जाता है नंबर
लोग कतार में लगते हैं। वे दर्द होने के बाद भी लाइन नहीं छोड़ते। ओपीडी में डॉक्टर हों या न हों, मरीज लाइन में खड़े रहते हैं। उनको इस बात का भय बना रहता है कि कहीं डॉक्टर आ गए तो फिर उनका नंबर कट जाएगा। डॉक्टर आ गए तो ठीक, नहीं तो समस्या और बढ़ जाती है।
ओपीडी में डॉक्टर क्यों नहीं बैठे, यह मैं नहीं बता पाऊंगा। मैं अभी दिल्ली आया हूं। डॉ. राजेंद्र ठाकुर को व्यवस्था देखनी थी। मनमानी क्यों की गई है, इसका पता लगवाया जाएगा। मरीजों के उपचार के लिए डॉक्टर ओपीडी में बैठें, यह व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
डॉ. यशवंत वर्मा, सिविल सर्जन

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