30 सीटों की स्वतंत्र सूची जारी
भाकपा माले की ओर से कहा गया कि है कि पार्टी को जो सीटें प्रस्तावित की गईं उनमें उनके सघन कामकाज, आंदोलन व पहचान के पटना, औरंगाबाद, जहानाबाद, गया, बक्सर, नालंदा आदि जिलों की एक भी सीट शामिल नहीं है। भाकपा माले की ओर से सीटों की पहली सूची जारी कर दी गई है। इन सीटों पर पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारे जाने की घोषणा की है।1. तरारी 2. अगिआंव 3. जगदीशपुर 4. संदेश 5. आरा 6. दरौली 7. जिरादेई 8. रघुनाथपुर 9. बलरामपुर 10. पालीगंज 11. मसौढ़ी 12. फुलवारीशरीफ 13. काराकाट 14. ओबरा 15. अरवल 16. घोषी 17. सिकटा 18. भोरे 19. कुथाज़् 20. जहानाबाद 21. हिलसा 22. इसलामुपर 23. हायाघाट 24. वारिसनगर 25. औराई 26. गायघाट 27. बेनीपट्टी 28. शेरघाटी 29. डुमरांव 30. चैनपुर सीट है।
आंदोलन व पहचान की सीटें नहीं मिली
पार्टी के राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि विधानसभा चुनाव में सीटों के तालमेल को लेकर भाकपा-माले व राष्ट्रीय जनता दल के बीच राज्य स्तर पर कई राउंड की बातचीत चली। हमने अपनी सीटों की संख्या घटाकर 30 कर ली थी। संपूर्ण तालमेल की स्थिति में इन प्रमुख 30 सीटों में से भी 10 सीटें और भी कम करते हुए हमने 20 प्रमुख सीटों पर हमारी दावेदारी स्वीकार कर लेने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन बात नहीं बनी। लेकिन राजद की ओर से हमारे लिए जो सीटें प्रस्तावित की गईं हैं उनमें हमारे सघन कामकाज, आंदोलन व पहचान के पटना, औरंगाबाद, जहानाबाद, गया, बक्सर, नालंदा आदि जिलों की एक भी सीट शामिल नहीं है। ऐसे में जब पहले चरण के नामांकन का दौर शुरू ही होनेवाला है, हमने अपनी सीटों की पहली सूची जारी कर दी।
संपूर्ण तालेमल पर विचार
भाकपा माले ने एनडीए के खिलाफ विपक्ष की कारगर एकता नहीं होने को दुखद बताया है। साथ ही उम्मीद जताई है कि आगे अगर संपूर्ण तालमेल की कोई संभावना बनती है तो पार्टी उस पर विचार करेगी। इस जनभावना का सम्मान करते हुए विपक्ष की पार्टियों के बीच कारगर गठबंधन व समझौता और एनडीए विरोधी मतों को समेटने की पुरजोर कोशिश करना समय की मांग है। लेकिन, अबतक ऐसा संभव नहीं हो पाना बेहद दुखद है। हालांकि उन्होंने कहा कि अब भी अगर संपूर्ण तालमेल की कोई संभावना बनती है तो हम उस पर विचार करेंगे
क्या मंदिर में घंटा बजाएंगे
सीपीआई एमएल के महागठबंधन को छोड़ कर स्वतंत्र उम्मीदवारों की सूची जारी करने पर जेडीयू नेता अजय आलोक ने तेजस्वी के नेतृत्व पर निशाना साधा है। तेजू बाबा का कैसा नेतृत्व है। पहले मांझी गए, फिर कुशवाहा अब माले गई और कांग्रेस भी जानेवाली है। अब अकेले रहकर क्या मन्दिर का घंटा बजाएंगे। उन्होंने कहा कि परिवार की बदौलत नेता बन सकते हैं। परिवार की बदौलत जनता का विश्वास कैसे जितेंगे। बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि भाकपा माले का आरजेडी के साथ जाने का फैसला ही उनकी पार्टी की विचारधारा के खिलाफ था। आनंद ने कहा कि आरजेडी नेता शहाबुद्दीन ने माले के दिग्गज नेता की हत्या की थी। आखिरकार परेशान माले ने भी आरजेडी का साथ छोडऩे का फैसला लिया है।