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2 June Ki Roti का ये किस्सा हैरान कर देने वाला, ऐसे भी परिवार जो आज भी हैं दो जून की रोटी के लिये हैं मोहताज…
कितनी सरकारें आईं और गईं, कितने दावे वादे किए गए लेकिन इन मजदूरों की तकदीर नहीं बदली। मजदूरों को 360 दिनों में से 250 दिनों का काम देने का वादा भी किया गया लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। मजदूर आज भी दो जून की रोटी कमाने के लिए दर दर ठोकरें खा रहा है। सोरों गेट पर मजदूरों के मेले में दो जून की रोटी कमाने के लिए हर रोज बोली लगती है। कुछ मजदूरों को रोटी नसीब हो जाती है, कुछ लोगों को दो जून पर भी रोटी नसीब नहीं होती। जब हमने इन मजदूरों से बात की तो उन्होंने क्या साफ कहा कि ‘साहब मजूदरी की तलाश में आते हैं, लेकिन उन्हें मजूदरी नहीं मिलती है। जिससे परिवार के लिए दो जून की रोटी तक नसीब नहीं होती है। सरकार मनरेगा के तहत मजदूरी देने का दावा तो करती है, लेकिन इनसे में मजदूरी करने के बाद मेहनताना नहीं मिल पाता। इसलिए वह नकद मजदूरी के लिए रोजाना इस मेले में आते हैं।