मानसून सीजन के बीच करौली जिले में राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की चाल फिसल गई है। इसका नमूना है कि वर्तमान में प्रदेशभर में मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराने में करौली जिला फिसड्डी बना हुआ है। जिले की कुल 243 ग्राम पंचायतों में से 179 पंचायतों में कार्य तो चल रहे है, लेकिन इन कार्यों पर श्रमिकों की संख्या काफी कम है।
जिलेभर में महज करीब साढ़े चार हजार की श्रमिक कार्यों पर नियोजित हैं। ऐसे में मनरेगा में करौली जिला प्रदेश में अंतिम पायदान पर टिका हुआ है। विभागीय सूत्रों के अनुसार प्रदेश के 33 जिलों में वर्तमान में 13 लाख 88 हजार से अधिक श्रमिक कार्यरत हैं। इसमें करौली जिले के श्रमिकों की संख्या लगभग 4527 ही है जो अन्य जिलों के मुकाबले काफी कमजोर है। अधिकारियों का कहना है कि बारिश से ताल तलाईयों आदि में पानी भरा है और इन दिनों कृषि कार्य भी चल रहा है। इससे श्रमिक संख्या पर असर पड़ा है।
64 ग्राम पंचायतों में कोई कार्य नहीं
वर्तमान में जिले की 64 ग्राम पंचायतों में तो कोई कार्य ही संचालित नहीं हो रहे हैं। इनमें सर्वाधिक खराब स्थिति सपोटरा पंचायत समिति में हैं, जहां कुल 36 पंचायतों में से 30 पंचायतों में मनरेगा के तहत कोई कार्य संचालित नहीं है। इसी प्रकार करौली की 32 पंचायतों में से 4, मण्डरायल की 24 ग्राम पंचायतों में से 8 तथा टोडाभीम पंचायत समिति की 43 ग्राम पंचायतों में से 22 ग्राम पंचायतों में कार्य ही संचालित नहीं हो रहे हैं।