बुधवार शाम चम्बल का जलस्तर 169.200 मीटर पर पहुंच गया। ये संयोग है कि ठीक 26 वर्ष पहले 23 अगस्त 1996 को चम्बल नदी का जलस्तर 169.960 मीटर पर पहुंचा था। चम्बल नदी एक बार फिर इतिहास दोहराने की ओर आगे बढ़ रही है। अगर पानी की इसी तरह से आवक रात तक बनी रही तो ये स्तर 26 वर्ष पुराने रिकॉर्ड तो तोड़ भी सकता है।
नदी में बढ़ते जलस्तर से मण्डरायल-करणपुर इलाके में नदी के तटवर्तीय गांवों में बाढ़ के हालात बने हैं। करीब एक दर्जन गांवों -ढाणियों को खाली कराया जा चुका है, जबकि इलाके के 50 से अधिक गांवों के रास्तें अवरुद्ध हुए हैं। कसेड की पुलिया पर लगभग 15 से 20 फीट पानी होने से बिजली के पोल व तार पानी में डूबे हुए हैं। इससे करणपुर-रोधई सहित क्षेत्र के दर्जनों गांवों में तीन दिन से बिजली आपूर्ति ठप है।
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इधर, जल संसाधन विभाग अधिकारियों का कहना है कि सूचना के अनुसार कोटा बैराज से बुधवार को पानी निकासी कम तो कर दी गई है, लेकिन जो पानी पहले से छोड़ा हुआ है, उसकी आवक लगातार बनी हुई है, ऐसे में नदी का जलस्तर और बढऩे की संभावना है।
रेस्क्यू करने में जुटा प्रशासन-बचावदल
सोमवार शाम को बैराज से पानी अधिक छोड़े जाने की सूचना पर मंगलवार सुबह से ही प्रशासन ने गांवों को खाली कराना शुरू कर दिया गया था। करणपुर और मण्डरायल के तटवर्तीय एक दर्जन गांव-ढाणी खाली कराकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। मण्डरायल, कसेड, रोधई, महाराजपुरा में राहत स्थल बनाए गए हैं। पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के साथ एसडीआरएफ, सिविल डिफेंस की टीम ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में जुटी हैं।
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बुधवार को जिला कलक्टर अंकितकुमार सिंह ने भी प्रभावित इलाके का दौरा कर हालात जाने। बुधवार को भी खतरे के निशान से काफी ऊपर बना रहा। इससे चम्बल किनारे बसे गांव-ढाणियां पानी में डूबे रहे। लगातार बढ़ते जल स्तर के कारण वहां के लोगों ने मंगलवार को ही अपने घरों को खाली कर दिया था। कुछ लोग मवेशी और घर के सामान के साथ गांवों में ऊंचाई वाले स्थानों पर डटे रहे।
बुधवार को सुबह से चम्बल नदी के जल स्तर में और इजाफा होने से महाराजपुरा पंचायत के गांवों-ढाणियों में अफरातफरी की स्थिति बनी रही। लोग घरों को खाली करके घरेलू सामान सहित महाराजपुरा के अटल सेवा केन्द्र , पुलिस चौकी तथा वन विभाग की चौकी में बनाए गए राहत शिविरों में शरण लेने को पहुंचे।
गोटा गांव मंगलवार रात को ही पानी में डूब गया। गोटा मीना बस्ती , हसनपुर बैरवा बस्ती के लोग घरों को खाली करके खाली कर महाराजपुरा अटल सेवा केन्द्र पर पहुंचे हैं। जबकि हसनपुर गुर्जर बस्ती के लोग ऊंटगिर किले की ऊंचाई की तरफ चले गए। बबूलखेडा के निचाई वाले पांच घर खाली कर बबूलखेडा गांव में ही ऊंचाई वाले स्थान पर ठहरे हुए हैं।