खास बात यह है कि दूल्हों ने शुक्रवार को वधु पक्ष के घर पहुंच ‘बिन फेरे हम तेरे’ के अंदाज में दुल्हनों का हाथ थाम हमसफर बना लाए। सरकारी सेवारत दोनो भाईयों का अनूठे अंदाज में हुआ यह विवाह दहेज विरोधी और मितव्ययता की मिसाल बना है।
बयाना रोड़ स्थित आनंद विहार कॉलोनी में रहे पोंछडी गांव निवासी अध्यापक जगदीश प्रसाद जाटव ने बताया कि उनके बड़े पुत्र आयुर्वेद कंपाउंडर के पद पर कार्यरत शशी कुमार व छोटे पुत्र वरिष्ठ अध्यापक सुरजीत सिंह की शादी महवा के भोपुर सायपुर निवासी भरत लाल जाटव की पुत्री प्रियंका व रवीना के साथ हुई।
उन्होंने बताया कि एक संत के विचारों से प्रेरित होकर दोनो पुत्रों ने लग्न, टीका और सात फेरों समेत सभी रीति-रिवाजों को त्याग कर एक-दूजे का हाथ थाम उम्रभर साथ रहने का संकल्प लिया। इस दौरान किसी प्रकार का उपहार व दहेज भी नहीं लिया गया।