दरअसल, जोधपुर में 6 सितंबर को प्रियंका बिश्नोई का ऑपरेशन हुआ था। अगले दिन इलाज के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद बिश्नोई को अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में रेफर किया गया। जहां करीब 10 दिन तक उनका इलाज चला, लेकिन तबीयत में सुधार नहीं हुआ। 19 सितंबर की सुबह उनकी मौत हो गई।
प्रियंका बिश्नोई की मौत की खबर सामने आते ही लोग आक्रोशित हो गए। जोधपुर में अस्पताल के बाहर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग जमा हो गए। लोगों ने अस्पताल के डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उस दौरान एहतियात के तौर पर वसुंधरा अस्पताल और चौपासनी हाउसिंग बोर्ड स्थित निदेशक के आवास की सुरक्षा बढ़ा दी गई। पुलिस जाब्ता तैनात कर दिया गया।
जिला कलक्टर ने जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाने के दिए थे निर्देश
इधर, जिला कलेक्टर गौरव अग्रवाल ने आरएएस प्रियंका बिश्नोई के इलाज में लापरवाही की शिकायत की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाने के निर्देश दिए थे। वसुंधरा अस्पताल में दिए गए उपचार की जांच के लिए डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने डॉ. रंजना देसाई, डॉ. इंदु थानवी, डॉ. विजय शर्मा, डॉ. शुभकरण खिंचड़ और डॉ. नवीन पालीवाल को कमेटी में शामिल किया था। इसी मामले को लेकर अस्पताल और डॉक्टर के खिलाफ जोधपुर महानगर मजिस्ट्रेट संख्या 8 में याचिका दायर की गई थी। शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए जोधपुर महानगर मजिस्ट्रेट संख्या 8 ने अस्पताल के डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। प्रियंका बिश्नोई 2016 में आरएएस परीक्षा में सफल हुई। उन्हें जोधपुर में बतौर सहायक कलक्टर (SDM) पोस्टिंग मिली। अपनी कड़ी मेहनत व ईमानदारी और धाकड़ रुतबे के लिए प्रदेशभर में पहचानी गईं। बिश्नोई के पति विक्रम बिश्नोई फलोदी में आबकारी निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं।