पहले ऑटोमोबाइल फिर टेक्सटाइल के बाद अब खानपान सेक्टर में भी मंदी का असर दिखने लगा है। जिसके चलते पारले-जी की कानपुर यूनिट ने दो हजार कर्मचारियों को निकालने का फैसला किया है। कंपनी दो महीने में इनकी छंटनी करने जा रही है। अगर हालात न सुधरे तो हर दो महीने में यह संख्या बढ़ती जाएगी।
जिले के ग्रामीण इलाकों में पारले-जी सबसे मजबूत स्थिति में था, यहां इसकी मांग सबसे ज्यादा थी। पर पिछले दो वर्षों में इसकी मांग में बेहद कमी आयी है। वर्ष २०१७-१८ की तुलना में २०१८-१९ में कानपुर यूनिट में मांग कम होने के चलते १५ फीसदी उत्पादन कम करना पड़ा। इस यूनिट में ३०००० कर्मचारी काम करते हैं। जिसमें २००० लोगों की नौकरी जा सकती है।
पारले-जी की लगभग सभी यूनिटों की हालत खस्ता है। सभी जगह १०-१५ फीसदी की गिरावट आयी है। माना जा रहा है कि हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले समय में और कर्मचारियों की छटनी की जा सकती है। कानपुर समेत सभी यूनिटों में कुल मिलाकर १५ हजार कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा सकता है।
कंपनी की कानपुर इकाई के फ्रेंचाइजी होल्डर और उत्तरप्रदेश बिस्कुट निर्माता एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन खन्ना ने बताया कि पहले बिस्कुट पर १२ प्रतिशत टैक्स लगता था जो जीएसटी लागू होने के बाद बढ़कर १८ प्रतिशत हो गया है। दूसरी ओर बिक्री कम होने से कंपनी को दोहरा झटका लगा है, इसलिए कर्मचारियों की संख्या में छंटनी करके खर्चे नियंत्रित करने पड़ेंगे।