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कानपुर

नौंवी के छात्र ने किया लेजर स्टिक का आविष्कार तो राष्ट्रपति ने किया पुरस्कृत

कुछ समय से उसकी दादी पार्किन्संस की बीमारी से ग्रसित हैं। पार्थ अपनी दादी को बहुत प्यार करता है। उससे उनकी तकलीफ जब देखी नहीं गयी तो वह उनके लिये एक छड़ी बनाने में जुट गया, जिसके बाद उसने एक लेजर स्टिक का आविष्कार किया। 

कानपुरNov 08, 2016 / 03:04 pm

आकांक्षा सिंह

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कानपुर देहात। कहते हैं किसी की चाहत में लोग अपना सब कुछ न्यौछावर कर देते हैं। पुखरायां के पार्थ बंसल ने एक ऐसा कमाल कर दिखाया कि जनपद क्या स्वयं भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें बुलाकर पुरस्कार से नवाजा है। अपने माता पिता का दुलारा पार्थ नोएडा इंद्रापुरम में अपनी नानी के घर रहकर पढ़ाई कर रहा है। कुछ समय से उसकी दादी पार्किन्संस की बीमारी से ग्रसित हैं। पार्थ अपनी दादी को बहुत प्यार करता है। उससे उनकी तकलीफ जब देखी नहीं गयी तो वह उनके लिये एक छड़ी बनाने में जुट गया, जिसके बाद उसने एक लेजर स्टिक का आविष्कार किया। जिससे दादी को चलने फिरने में काफी मदद मिली। अब उन्हें काफी राहत भी है। स्कूल प्रबंधन द्वारा उसके इस कारनामे को देखा गया तो उसे नीति आयोग के प्रेजेंटेशन में दिखाया गया। जिसमे पार्थ का आविष्कार चयनित किया गया। फिर दिल्ली में ही राष्ट्रपति द्वारा उसे सम्मानित किया गया। जिसके बाद पुखरायां सहित समूचा जनपद गौरव महसूस कर रहा है। पार्थ के दिल्ली से वापस आने के बाद उसके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।


नाती ने दादी के लिये किया आविष्कार
पुखरायां निवासी पिता संदीप बंसल व मां सपना बंसल का होनहार पुत्र पार्थ बंसल नोएडा के इंद्रापुरम में अपनी नानी सरस्वती देवी के साथ रहता है तथा वहां के एपीजे स्कूल मे नौंवी कक्षा का छात्र है। पढ़ने में मेधावी पार्थ पुखरायां में रह रही अपनी दादी को बेहद प्यार करता है। वह दादी का दुलारा है, लेकिन बीते कुछ माह से दादी पार्किन्संस की बीमारी से परेशान थी। जिससे उनको चलने फिरने में दिक्कत होने लगी। जिससे पार्थ बेचैन रहने लगा। तब उसने कुछ करने की ठानी। दिन रात मेहनत करते हुये पार्थ ने पिछले माह एक लेजर स्टिक का आविष्कार किया और पार्थ ने वह छड़ी अपनी दादी को भेंट की। जिसकी मदद से दादी को चलने फिरने में राहत मिली।


स्कूल प्रबंधन ने भेजा नीति आयोग राष्ट्रपति ने किया सम्मानित
पार्थ के इस कारनामे को लेकर सभी बहुत खुश थे। जब इस बात की जानकारी एपीजे स्कूल प्रबंधन को हुयी तो पार्थ ने उस आविष्कार को प्रयोगात्मक रूप से प्रबंधन को दिखाकर उन्हें विस्तृत रूप से जानकारी दी। जिसके बाद स्कूल प्रबंधन ने इस आविष्कार को नीति आयोग के प्रेजेंटेशन मे शामिल कराया, जिसमें पार्थ का आविष्कार चयनित किया गया। जिसके बाद उसे सम्मानित करने के लिये राष्ट्रपति ने आमंत्रित किया। राष्ट्रपति भवन पहुंचे पार्थ को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने डा. एपीजे अब्दुल कलाम इग्नाइट पुरस्कार से सम्मानित किया। पार्थ का कहना है कि मेरे आविष्कार से मेरी दादी को बहुत राहत है और बाबा व दादी खुश भी है। मुझे बहुत लगा है और राष्ट्रपति से पुरस्कार पाकर बेहद खुशी मिली है। इससे उसे आगे बढ़ने का मनोबल मिला है।

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