सभी सुविधाओं से लैस है सैलून इस ट्रेन का इतिहास अनोखा है। क्योंकि यह ट्रेन बुलेट प्रूफ विंडो, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, हर आधुनिक सुविधा से लैस होगी। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, वर्तमान प्रेसीडेंशियल सैलून सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त है। इस ट्रेन को प्रिडेंसियल सैलून भी कहते हैं क्योंकि इसमें राष्ट्रपति सफर करते हैं। यह सामान्य ट्रेन की श्रेणी में नहीं है। हालांकि पटरियों पर ही इसे चलाया जाता है, इसलिए इसे प्रेसीडेंशियल ट्रेन भी कहते हैं। इसमें दो कोच होते हैं, जिनका नंबर 9000 व 9001 होता है।
अभी तक 87 बार सैलून का हो चुका प्रयोग अब तक देश के अलग-अलग राष्ट्रपति 87 बार इस सैलून का प्रयोग कर चुके हैं। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1950 में इस ट्रेन में पहली बार सफर किया था। उन्होंने दिल्ली से कुरुक्षेत्र का सफर किया था। इसके बाद डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डा. नीलम संजीवा रेड्डी ने इस सैलून से यात्राएं की थी। फिर 1977 में डा. नीलम संजीवा रेड्डी ने इस सैलून से यात्रा की। इसके 26 साल बाद 30 मई 2003 को डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने इस सैलून से बिहार की यात्रा की थी। अब 18 वर्ष बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इसी सैलून से कानपुर पहुंचेंगे।