केंद्र सरकार ने बीते जून में ही लालइमली और धारीवाल को बंद करने की नीति आयोग की सिफारिश पर मुहर लगा दी थी. मिलों की बुरी हालत के लिए खराब प्रबंधन, उत्पादन न होना और मार्केटिंग रणनीति का अभाव बताया जा रहा है. कैबिनेट की मुहर लगने के बाद इंटरप्राइजेज विभाग ने एक्ट का इस्तेमाल करते हुए इन मिलों को जीरो डेट में शामिल कर दिया है.
अचानक बंद कर स्टाफ का भुगतान मंत्रालय के हिसाब से किया जाएगा. श्रम विभाग भी बंदी को गैर कानूनी घोषित नहीं कर पाएगा. अभी एल्गिन मिल के सौ से ज्यादा श्रमिकों को अंतिम भुगतान का मामला फंसा हुआ है.
मंत्रालय ने दोनों मिलों की संपत्तियों के निस्तारण के लिए राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम और इंजीनियर्स प्रोजेक्टस इंडिया लिमिटेड को जिम्मेदारी सौंपी है. यही कंपनियां सर्वे कर जमीनों पर क्या बने, इसका फैसला करेंगी. हाई पावर कमेटी के प्रभारी आशीष भवना ने मिलों की रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी है. जिसमें लालइमली में 606 और धारीवालमें330 श्रमिकों और कर्मचारियों की वीआरएस का ऑफर देने का प्रस्ताव दिया गया है.