15 साल में 9 बार जीती जिंदगी की जंग, जीने के जज्बे से Cancer को हराया
Cancer: कहते हैं कि अगर किसी में ठीक होने का जज्बा हो, तो आप किसी भी बीमारी को मात दे सकते हैं। ये नरोत्तम पांडेय का जज्बा ही है जिसके कारण वे अब तक 15 बार कैंसर को मात दे चुके हैं। आइए जानते हैं नरोत्तम पांडेय के बारे में, जो कैंसर से हताश रोगियों के लिए मिसाल बने।
Cancer Survivor Story: शहर कानपुर, नाम नरोत्तम पांडेय… 15 साल में 9 बार कैंसर को दी मात। इस व्यक्ति पर कैंसर ने इस तरह से हमले किए, मानो जैसे हर सीजन में होने वाला वायरल बुखार हो। इसके बावजूद नरोत्तम ने हर बार कैंसर को हराया और दूसरे मरीजों के लिए प्रेरणास्रोत बने। आइए जानते हैं कैंसर से उनकी लड़ाई…
कानपुर शहर से करीब 5 किमी दूर पटकापुर है। यहां नरोत्तम पांडेय आइसक्रीम बेचते हैं। साल 2009 में नरोत्तम को पता चला कि वह कैंसर के शिकार हो चुके हैं। उनके आंत में कैंसर था, जिसकी सर्जरी मुंबई के टाटा अस्पताल में हुई। इस सर्जरी में हमेशा के लिए उनके पेट से मल का रास्ता बनाकर कोलोस्टोमी बैग लगा दिया गया। तब से लेकर आज तक नरोत्तम की कमर में मल की थैली लटकती है। अभी नरोत्तम इस सदमे से बाहर भी नहीं आए थे कि 2012 में नाक की एक छोटी सी फुंसी ने कैंसर का रूप ले लिया। इसके बाद भी कैंसर का सिलसिला थमा नहीं।
शरीर में नौ बड़ी सर्जरी के निशान
2013 में कैंसर ने कनपटी पर हमला किया। 2015 में बाएं गाल में और फिर दाएं गाल में कैंसर की गांठ बन गई। साल 2018 में जांघ में गांठ उभरी। 2019 में छोटी आंत में कैंसर हुआ। 2020 में नाभि के पास और 2021 में दाएं पैर के पंजे में गांठ बनी। नरोत्तम पांडेय के चेहरे से जांघ तक नौ बड़ी सर्जरी के निशान हैं। आइए जानते हैं कि कैंसर सबसे पहले कब पाया गया।
कब हुई कैंसर की शुरुआत?
कैंसर बीमारी के बारे में सबसे पहला जिक्र मिस्र और ग्रीस के समय में पाया जाता है। मिस्र (Egypt) की बात करें तो करीब 3000 साल पहले यहां स्तन कैंसर (Breast Cancer) का वर्णन किया गया है। स्तन कैंसर के लक्षणों का वर्णन “एडविन स्मिथ सर्जिकल पपाइरस” नामक दस्तावेज में किया गया है।
वहीं, प्राचीन ग्रीस (Greece) में भी कैंसर का वर्णन पाया गया है। ग्रीस के डॉक्टर हिप्पोक्रेट्स ने कैंसर के बारे में लिखा और इसे ‘कर्किनोस’ (केकड़ा) कहा। ऐसा इसलिए क्योंकि कैंसर में पाए गए ट्यूमर का आकार केकड़े जैसा दिखता था।
कैंसर को एक बीमारी के रूप में दर्जा प्राचीन ग्रीस के समय से मिला था, लेकिन इसे पूरी तरह से गंभीर बीमारी के रूप में मान्यता 18वीं और 19वीं सदी में दी गई। 18वीं सदी में माइक्रोस्कोप का आविष्कार और 19वीं सदी में कोशिका सिद्धांत (cell theory) ने कैंसर को समझने का रास्ता आसान कर दिया। जर्मन वैज्ञानिक रुडोल्फ विरचो (Rudolph Virchow) ने 1850 के दशक में या साबित कर दिया कि कैंसर एक कोशिकीय बीमारी है और यहीं से कैंसर को चिकित्सा क्षेत्र में गंभीर बीमारी के रूप में दर्जा मिलना शुरू हुआ।
कैंसर से लड़ने के लिए चिकित्सक उपाय
आज के आधुनिक समय में कैंसर का इलाज उसके प्रकार, उसकी अवस्था, और मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। कैंसर में प्रमुख चिकित्सीय उपायों का नाम है- सर्जरी (Surgery), कीमोथेरेपी (Chemotherapy), रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy), इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy), टारगेटेड थेरेपी (Targeted Therapy), हार्मोन थेरेपी (Hormone Therapy), स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem Cell Transplant), प्रिसिशन मेडिसिन (Precision Medicine), क्लीनिकल ट्रायल्स (Clinical Trials), सपोर्टिव केयर (Supportive Care) और जीन थेरेपी (Gene Therapy)।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कैंसर के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए कई योजनाएं शुरू की हैं। इसका उद्देश्य कैंसर के इलाज, जागरूकता और रोकथाम में मदद करना है। आइए जानते हैं सरकार की उन योजनाओं के बारे में…
मुख्यमंत्री कैंसर सहायता योजना
इस योजना के तहत गरीब और वंचित वर्ग के कैंसर मरीजों ₹2 लाख तक की आर्थिक सहायता दी जाती है।
आयुष्मान भारत योजना (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना)
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस केंद्रीय योजना को राज्य में लागू कर दिया है। इसके तहत गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिलता है, जिसमें कैंसर का इलाज भी शामिल है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM)
इस योजना के तहत यूपी सरकार कैंसर की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियानों का आयोजन करती है। इसमें शुरुआती जांच, कैंसर के बचाव के बारे में जानकारी दी जाती है।
टीबी और कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए स्वास्थ्य शिविर
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लगाए गए इन शिविरों में जांच के जरिए मरीजों में कैंसर के शुरुआती मामलों की पहचान की जाती है, जिससे समय पर इलाज शुरू किया जा सके।
कैंसर केयर सेंटर और सुविधाएं
उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) और संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SGPGIMS) जैसे प्रमुख सरकारी अस्पतालों में कैंसर के इलाज की अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
तंबाकू नियंत्रण के लिए विशेष अभियान
तंबाकू सेवन से हो रहे कैंसर की संख्या को कम करने के लिए यूपी सरकार ने ‘तंबाकू मुक्त उत्तर प्रदेश’ अभियान चलाया है।
फ्री कैंसर स्क्रीनिंग कार्यक्रम
इस कार्यक्रम में सरकारी और अर्ध-सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क कैंसर स्क्रीनिंग की सुविधा दी जा रही है। इसमें स्तन कैंसर, ग्रीवा कैंसर और ओरल कैंसर (मुंह के कैंसर) की जांच की जाती है।
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