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कानपुर

यूपी में शीतलहर तेज, दिल और सांस के 11 मरीजों ने तोड़ा दम

डॉक्टरों का कहना है कि शीतलहर से मरीजों की सांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं और खून का थक्का जम जाता है। खून का थक्का जिस अंग में जाता है, वह फेल हो जाता है। शुक्रवार शाम से शीतलहर के गति पकड़ते ही सांस के रोगियों का बुरा हाल हो गया।

कानपुरDec 19, 2021 / 08:30 am

Sanjay Kumar Srivastava

यूपी में शीतलहर तेज, दिल और सांस के 11 मरीजों ने तोड़ा दम

यूपी में शीतलहर तेज, दिल और सांस के 11 मरीजों ने तोड़ा दम

कानपुर. यूपी में सर्दी का सितम तेज हो गया है। तेज शीतलहर दिल और सांस के रोगियों के लिए जानलेवा है। कानपुर में शीतलहर की वजह से शनिवार को फेफड़ों की फाइब्रोसिस के छह और दिल के तीन रोगियों समेत 11 की मौत हो गई। हैलट और निजी अस्पतालों में कई अस्थमा और दमा (सीओपीडी) के मरीजों को इलाज चल रहा है।। इनमें से कई मरीज वेंटिलेटर पर हैं। दवाओं से इनकी स्थिति नियंत्रित थी। पर पर शीतलहर ने काम तमाम कर दिया।
शीतलहर से सिकुड़ जाती हैं सांस की नलियां :- डॉक्टरों का कहना है कि शीतलहर से मरीजों की सांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं और खून का थक्का जम जाता है। खून का थक्का जिस अंग में जाता है, वह फेल हो जाता है। शुक्रवार शाम से शीतलहर के गति पकड़ते ही सांस के रोगियों का बुरा हाल हो गया।
दमा और अस्थमा के रोगियों को एक्सपोजर :- अचानक ठंडक होने से खासतौर पर दमा और अस्थमा के रोगियों को एक्सपोजर हो गया। इससे रोग का अटैक पड़ा और मौत हो गई। शनिवार तड़के रामकुमार (62 वर्ष) और रजनीश (57 वर्ष) की मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि उनका इलाज लालबंगला के निजी अस्पताल के चेस्ट फिजिशियन के यहां चल रहा था। इसी तरह काकादेव के जगदीश (72 वर्ष), कल्याणपुर की विमला (62 वर्ष) और ज्योति प्रसाद (56 वर्ष) की क्षेत्र के निजी अस्पताल में मौत हुई। इनका इलाज डॉ. मुरारीलाल चेस्ट हॉस्पिटल में ओपीडी स्तर पर चल रहा था। विमला के बेटे अशोक ने बताया कि सांस उखड़ने पर उन्हें पास के नर्सिंगहोम में ले गए थे।
रास्ते में ही मौत हो गई :- इन सभी मरीजों को लंग्स फाइब्रोसिस था। संक्रमण के कारण फेफड़े सिकुड़ गए थे। कोरोना की पहली लहर में संक्रमित हुए ककवन के राजेंद्र (63 वर्ष) और बिरहाना रोड के राजीव (58 वर्ष) की भी मौत हो गई। एक्सरे जांच में उनके फाइब्रोसिस मिली थी। दोनों का इलाज निजी अस्पताल के चिकित्सक के यहां चल रहा था। उन्हें सांस में दिक्कत थी। दोनों डायबिटीज के पुराने रोगी थे। राजेंद्र को परिजन शनिवार सुबह एंबुलेंस से हैलट के लिए लेकर निकले थे, लेकिन रास्ते में ही मौत हो गई। राजीव को परिजन निजी अस्पताल ले गए थे।
क्रोनिक मरीजों को ठंड से बचाव की जरूरत :- इसी तरह मंधना के सीओपीडी मरीज राघव (47 वर्ष) की मौत हुई। पहले उन्हें चेस्ट हॉस्पिटल लाया गया। यहां आईसीयू ने होने से हैलट भेजा गया। वहां मौत हो गई। टीबी-चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ. आनंद ने बताया कि क्रोनिक मरीजों को ठंड से बचाव की जरूरत है। वहीं सीनियर चेस्ट फिजिशियन डॉ. राजीव कक्कड़ ने बताया कि ठंड की वजह से दमा और अस्थमा रोगियों की हालत गंभीर हो रही है। ऐसे रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
अस्पताल पहुंचने से पहले हार्ट फेल :- कॉर्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट में शनिवार को हार्ट अटैक के तीन रोगी ब्रॉट डेड पहुंचे। एक रोगी मंधना, एक कल्याणपुर और एक स्वरूपनगर से आया था। कर्मचारियों ने बताया कि दोपहर दो बजे तक तीन ब्रॉट डेड आए। मंधना से लाए गए रोगी रामसनेही (55) के साढ़ू राजेश ने बताया कि उसकी सांस में सुबह तकलीफ हुई और बायीं तरफ भारीपन लगा। जल्दी से कार से यहां लाए, लेकिन मौत हो गई। कल्याणपुर के रोगी नारायण (49) और स्वरूपनगर के रोगी दिनेश (55) का इलाज ओपीडी स्तर पर कॉर्डियोलॉजी में ही चल रहा था।
इमरजेंसी में भर्ती हुए 70 हृदयरोगी :- कॉर्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट में इमरजेंसी भी बढ़ गई है। शनिवार को यहां 70 रोगियों को इमरजेंसी में भर्ती किया गया। इमरजेंसी में रोगी एंजाइना के लक्षण लेकर आए। कुछ रोगी हार्ट फेल की स्थिति में होने से सांस फूलने की शिकायत लेकर आए। गंभीर हालत में आने वाले 32 रोगियों को भर्ती कर लिया गया। दवाओं से जिनकी स्थिति सुधर गई, उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।
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हृदय रोगियों की संख्या बढ़ी :- कॉर्डियोलॉजी के निदेशक प्रो. विनय कृष्णा ने बताया कि जाड़े में इमरजेंसी और ओपीडी दोनों में हृदय रोगियों की संख्या बढ़ गई है। ओपीडी में 816 रोगियों ने जांच कराई। इंस्टीट्यूट में 19 छोटे और 15 बड़े हार्ट के ऑपरेशन भी किए गए।

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