पुलिस ने बताया कि हत्यारोपी बृजेश से साक्षी बनकर व्हॉट्सएप चैट करता था। उसने हनीट्रैप में बृजेश को फंसाकर आधी रात को मिलने के लिए बुलाया था। बृजेश भी घर से निकल गया। कुछ दूर पर सुबोध अपनी स्विफ्ट कार लेकर खड़ा था। यहीं से उसने बृजेश का अपहरण कर लिया। रास्ते में शराब में नशीली दवा मिलाकर जबरन शराब पिलाई। इसके बाद बृजेश बेसुध हो गया था। करीब दो घंटे बाद ही तार से गला घोंटकर उसे मार दिया। अपहरण के दौरान उसने बृजेश के परिजनों से 20 लाख की फिरौती की मांग भी की थी।
घर पर भूल गया था फोन पुलिस के मुताबिक बृजेश दो मोबाइल रखता था। एक पर व्हॉट्सएप चलाता था, दूसरे फोन का इस्तेमाल कॉलिंग के लिए करता था। जिस रात उसका अपहरण हुआ, घर से निकलते समय वह व्हॉट्सएप वाला मोबाइल घर पर ही भूल गया। पुलिस ने उसके घर से मोबाइल बरामद कर चैट रिकवर करवाया। करीब एक दर्जन नंबर सर्विलांस पर लगवाए। इसमें साक्षी नाम का नंबर वारदात की रात से बंद था। शक होने पर पुलिस ने इस नंबर की कॉल डिटेल निकलवाई, तो पता लगा कि फेक आईडी से सिम लिया गया था। सर्विलांस ने बी पार्टी की सीवीआर निकाली यानी इस नंबर से जिसे कॉल की गई थी। इसके बाद पुलिस सुबोध तक पहुंच सकी।