कानपुर. अपनी आकाशगंगा यानि मंदाकिनी जिसमें सैकड़ों ग्रह है, को देखने के लिए आईआईटी कानपुर के छात्रों ने वेधशाला का प्रयोग किया। इसके तहत आईआईटी के छात्रों ने मंदाकिनी की कई तस्वीरें खीची हैं और उनको यू ट्यूब में अपलोड कर दिया है। अब छात्रों के साथ ही अन्य लोग इन तस्वीरों को घर बैठे देखकर अध्ययन कर सकते हैं। यही नहीं वेधशाला के जरिए छात्र उनकी फोटो भी ले रहे हैं। हालांकि ग्रहों की चाल अधिक होने के चलते छात्र ज्यादा से ज्यादा तस्वीरें नहीं ले सकेगे।
तारों का प्रकाश एक समान
प्रोफेसर प्रो. पंकज जैन ने बताया कि गृहों के पुंज को आकाशगंगा कहते है कि आकश में तमाम आकाशगंगाए है। जिनमें एक आकाशगंगा मंदाकिनी है। इसी मंदाकिनी के अर्न्तगत पृथ्वी जैसे कई ग्रह आते है। बताया कि आकाश में देखने पर पता चलता है कि तारों का प्रकाश एक समान नहीं है, और न ही उनके रंग। ये आसमान में नदी की तरह प्रवाहमान प्रतीत होते हैं।
आईआईटी की वेधशाला में पहले भी आकाशगंगाओं व ग्रहों को देखा गया। लेकिन इनकी रफ्तार अधिक होने के चलते इनकी तस्वीरें लेना मुश्किल था।
ऑर्ब्जवेट्री फॉर एमेच्योर एस्ट्रोनॉमिकल के तहत रिसर्च
आईआईटी के छात्रों के कई प्रयासों के बाद आईआईटी के ’ऑर्ब्जवेट्री फॉर एमेच्योर एस्ट्रोनॉमिकल रिसर्च’ ने’ चार्ज कपल्ड डिवाइस’ के जरिए इनकी गति के साथ तालमेल बिठाकर इनकी फोटो लेने में सफलता हासिल की है। आईआईटी के भौतिक विज्ञान विभाग में प्रोफेसर व ऑर्ब्जवेट्री के प्रमुख प्रो. पंकज जैन ने बताया कि एस्ट्रोनॉमी क्लब के छात्रों को यह जिम्मेदारी दी गई कि चार्ज कपल्ड डिवाइस के जरिए आकाशगंगाओं व ग्रहों की चाल में तालमेल बिठाकर वेधशाला के जरिए फोटों ले। छात्रों के कठिन परिश्रम से ग्रहों की तस्वीरें खीची जा सकी। जैन ने बताया कि आने वाले दिनों में ’ऑर्ब्जवेट्री फॉर एमेच्योर एस्ट्रोनॉमिकल रिसर्च’ में लगे टेलीस्कोप व अन्य उपकरणों को आईआईटी प्रशासन जल्द ही ऑटोमैटिक संचालित करने जा रहा है। जिससे ग्रहों व आकाशगंगाओं की तस्वीरें लेना और आसान हो जाएगा।
पहली छात्र उठा सकेंगे लुफ्त
प्रोफेसर ने बताया कि आईआईअी के इतिहास में यह एक बहुत बड़ा कदम है। बताया कि इन तस्वीरों को यू ट्यूब में अपलोड़ कर दिया गया है। जिससे पहली बार स्कूल व कालेज में अध्ययनरत छात्र भी इनको देख सकते हैं। कहा कि आने वाले दिनों में स्कूली छात्रों से लेकर शोधार्थी आकाशगंगा व ग्रहों की अधिक से अधिक तस्वीरें देख सकेंगे।
एक घंटे का लगता समय
जैन के मुताबिक फोटो लेने के लिए आकाशगंगा व ग्रहों की गति के साथ कैमरा को मूव करना होता है। दस-दस मिनट के कई शॉट्स लेने के बाद एक फोटो बनती है। आब्जर्वेट्री में हाइपस्टार लैंस का इस्तेमाल किए जाने की योजना है इसके बाद इसमें कम समय लगेगा।
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