पंडितों की मानें तो इस संयोग में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने आगे बताया कि इस तिथि में सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। इससे योग में अविवाहित कन्या यदि भगवान शिव-पार्वती की पूजा-आराधना कर अच्छे वर की मनोकामना करें, तो मनोकामना पूरी हो सकती है। सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु और परिवार की सुख समृद्धि के लिए आराधना कर सकती है। बताया गया है कि सोमवती अमावस्या पर पुनर्वसु नक्षत्र के बाद रात्रि में 9.22 बजे से पुष्य नक्षत्र रहेगा । सोमवार को यदि पुष्य नक्षत्र है तो उसे सोम पुष्य कहते हैं। रात्रि में सर्वार्थ सिद्धि योग भी है।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की अमावस्या आती है, लेकिन सोमवार के दिन अमावस्या तिथि का संयोग कई सालों में कभी कभी बनता है। यह संयोग स्नान-दान के लिए शुभ और सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन नदियों, तीर्थों में स्नान, गौदान, अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र दान करना पुण्य फलदायी माना गया है। अमावस्या के चलते इस दिन शनिदेव की पूजा-अर्चना भी की जा सकती है।
इससे साढ़े साती शनि प्रकोप कम होता है। किसान नरेश कुमार, रमेश साहू ने बताया माहू कि हरेली पर्व के दिन कृषि कार्य बंद रखकर नागर, गैती, कुदाली, फावड़ासमेत कृषि उपकरणों की पूजा अर्चना करते हैं। साथ ही बैलों की पूजा और गुड़ और चने का भोग लगाते हैं। यादव समाज के लोग पशुधन को नमक और बगरंडा की पत्ती खिलाते हैं। इसके एवज में किसान उन्हें दाल, चावल, सब्जी और अन्य उपहार प्रदान करते हैं।