गौरतलब है कि शहर से लगे डुमाली गांव की पहाड़ी में हाल ही में मादा तेंदुआ को 7-8 शावकों के साथ देखा गया है। गांववालों की मानें तो
तेंदुए रोजाना भोजन की तलाश में गांव मे घुस रहे हैं। गांव के पालतू कुत्तों के अलावा कई बकरियों का भी शिकार कर चुके हैं। इससे गांव में दहशत का माहौल है। कलेक्टर के पास अपनी समस्या लेकर पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि तेंदुए और भालू लगभग हर दिन गांव के आसपास देखे जा रहे हैं। वे भोजन की तलाश में यहां आ रहे हैं। अभी तक पालतू जानवरों को अपना शिकार बना रहे हैं।
मुर्गी-बकरियों के शिकार से हमारी रोजी-रोटी तो प्रभावित हो ही रही है, हमें इस बात की ज्यादा चिंता है कि ये हिंसक जानवर बच्चों या बुजुर्गों को नुकसान न पहुंचाएं। आलम ये है कि सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद लोग घर से बाहर निकलने में डर रहे हैं। ऐसे में लोगों ने कलेक्टर ने जान बचाने की गुहार लगाई है।
बकरी-मुर्गी, कुत्तों को भी नहीं छोड़ रहे
जोहर पटेल, रवि पटेल, राजाराम पटेल और रमेश पटेल ने बताया की डुमाली के जितने भी पालतू कुत्ते है, सभी को तेदुओें ने अपना शिकार बना लिया है। गांव में आवारा कुत्ते तक नजर नहीं आ रहे हैं। कुत्तों को अपना शिकार बनाने के बाद तेदुआ अब ग्रामीणो की मुर्गी और बकरियों को अपना शिकार बना रहा है। मुर्गी-बकरी का शिकार करने तेंदुआ रोज किसी न किसी के घर घुस आता है। शिकार कर लौट जाता है। अब तक जनहानि तो नहीं हुई, पर लोगों का इसका डर बहुत ज्यादा सता रहा है।
आमदखोर न बन जाए तेंदुआ यही चिंता सताए जा रही है
कलेक्टर से मदद की गुहार लगाने पहुंचे गांववालों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा, सारे आवारा कुत्तों का शिकार करने के बाद तेंदुए अब पातलू कुत्तों के साथ बकरियों और मुर्गियों को अपना शिकार बना रहे हैं। इन्हें कहीं भोजन न मिला तो इंसानों को ही अपना शिकार न बनाने लगें। तेंदुए अगर आदमखोर हो गए तो स्थिति भयानक हो सकती है। इस बीच गांववालों ने वन विभाग पर गंभीर लापरवाही के भी आरोप लगाए हैं। गांववालों के मुताबिक उन्होंने अंधेरे में जानवरों से बचने के लिए उन्होंने वन विभाग से गलियों में स्ट्रीट लाइट लगाने की मांग की थी। विभाग ने अब तक इसका भी इंतजाम नहीं किया है।
बच्चे महफूज नहीं क्योंकि स्कूलों तक पहुंच रहे तेंदुए
राजेंद्र पटेल ने बताया, डुमाली छोटेपारा में प्रथामिक शाला के मैदान के पास भी तेंदुओं को देखा जा चुका है। इसके बाद से बच्चे पढ़ाई के लिए स्कू ल जाने से भी डरने लगे हैं। शिक्षक भी दहशत के बीच बच्चों को पढ़ाने के लिए मजबूर हैं। इसके अलावा भी गांव के दूसरे इलाकों में तेंदुओं को देखा जा चुका है। कुल मिलाकर इन दिनों गांव की हालत ऐसी है कि कोई भी कहीं के लिए भी निकलता है, तो उसके मन में ये डर भी साथ-साथ चलता है कि जाने किस मोड़ पर तेंदुओं से सामना हो जाए। यही वजह है कि गांव के बहुत से लोगों ने इन दिनों दिन ढलने के बाद घर से निकलना ही छोड़ दिया है।
डुमाली की पहाड़ियों पर कई बार दिा है तेंदुओं का झुंड
गांववालों और सड़क से गुजरने वाले राहगीरों ने कई बार दिन के समय में तेंदुओं के झुंड को डुमाली गांव से लगी पहाड़ियों पर घूमते देखा है। अभी भी उसी पहाड़ी पर तेंदुओं का झुंड मौजूद है। वे रोजाना भोजन की तलाश करने में गांव में पहुंच रहे हैं। लोगों ने बताया कि तेंदुए रात के अलावा अब दिन में भी भोजन की तलाश में गांव पहुंच रहे हैं। कई बार दिन के समय भी गांववालों ने पहाड़ी से तेदुओं को नीचे उतरते देखा है। दिन में भी दिखाई देने के बाद से गांववाले काफी डरे हुए हैं।