जिले में कुल 274 निजी स्कूल हैं। इसमें सबसे अधिक 156 प्राथमिक स्कूल हैं और यहीं सुरक्षा की सबसे अधिक आवश्यकता है। कुछ बड़े स्कूल में तो सुरक्षा के गार्ड होते हैं। वहां जांच भी होती है, लेकिन अधिकतर स्कूल में सुरक्षा की कमी है। जबकि सुरक्षा के लिए गार्ड के अलावा स्कूल में प्रवेश करने वालों की जांच-पड़ताल, एंट्री रिकार्ड, सीसीटीवी कैमरा होना आवश्यक है।
स्कूल परिसर में सुरक्षाघेरा मतलब बाउंड्रीवाल होना आवश्यक है। इससे न तो बच्चे परिसर के बाहर जा सकते हैं और न ही अनचाहे लोग आसानी से स्कूल में प्रवेश कर सकते हैं। लेकिन अधिकतर निजी स्कूल में बाउंड्रीवाल की कमी है, जो बच्चों की सुरक्षा में सेंधमारी है।
अधिकतर देखा गया है कि छोटे स्कूल वाहनों में हादसे अधिक होते हैं। यह हल्की ठोकर में ही पलट जाते हैं, जिससे बच्चे चोटिल होती है। छोटे वाहन में बच्चों को ठूंस-ठूंसकर भरा जाता है। वहीं बच्चों को जिम्मा पूरी तरह से सिर्फ ड्राइवर पर होता है। ड्राइवर ही इन्हें चढ़ाता व उतारता है। टीचर भी साथ नहीं होते। ऐसे मेें हादसे का डर बना ही रहता है।
– 20 बच्चों पर एक टीचर
– खुद का भवन व बाउंड्रीवाल जरूरी
– बालक व बालिका के लिए अलग-अलग शौचालय
– स्टॉफ के लिए अलग शौचालय
– साफ पानी
– लाइब्रेरी
– सुरक्षा गार्ड
– सीसीटीवी कैमरा
– फायर सेफ्टी सिस्टम
– फस्ट एड बाक्स/कीट फिलहाल सभी निजी स्कूल से वॉशरूम, खिड़की, दरवाजों की स्थिति शासन स्तर से मांगा गया है, जिसका रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है। वहीं सभी नोडल अधिकारियों को कहा गया कि वह सतत् स्कूलों निरीक्षण करते रहे। जो कमी है उसे पूर्ण कराया जाए। जहां लापरवाही दिखाई देगी वहां पर कार्रवाई भी की जाएगी।