जोधपुर के इस मंदिर में होती है रावण की पूजा
विजयदशमी पर रावण दहन बुराई के प्रतीक के अंत के रूप मनाया जाता है। वही जोधपुर में एक एेसा मंदिर है, जहां रावण की पूजा की जाती है। यहां विजयदशमी के दिन रावण दहन पर खुशी नहीं शोक मनाया जाता है। यह मंदिर किला रोड स्थित अमरनाथ महादेव मंदिर प्रांगण में है।
जोधपुर के इस मंदिर में होती है रावण की पूजा
जोधपुर. विजयदशमी पर रावण दहन बुराई के प्रतीक के अंत के रूप मनाया जाता है। वही जोधपुर में एक एेसा मंदिर है, जहां रावण की पूजा की जाती है। यहां विजयदशमी के दिन रावण दहन पर खुशी नहीं शोक मनाया जाता है। यह मंदिर किला रोड स्थित अमरनाथ महादेव मंदिर प्रांगण में है। जोधपुर में श्रीमाली ब्राह्मण समाज के दवे गोधा गोत्र परिवार की ओर से गुरुवार को रावण दहन पर शोक मनाया गया। इस अवसर पर मंदिर प्रांगण में रावण की मूर्ति का अभिषेक व विधि विधान से रावण की पूजा की। शाम को रावण दहन के बाद दवे गोधा वंशज के परिवारों ने स्नान कर नूतन यज्ञोपवीत धारण किया। महादेव अमरनाथ मंदिर के पं कमलेशकुमार दवे ने बताया कि रावण दवे गोधा गोत्र से था इसलिए रावण दहन के समय आज भी इनके गोत्र से जुडे़ परिवार रावण दहन नहीं देखते और शोक मनाते है। रावण दहन के बाद स्नान कर यज्ञोपवीत धारण करते हैं। रावण की मूर्ति के पास मंदोदरी का मंदिर है, इस दौरान उसकी भी पूजा की जाती है। दवे ने बताया कि मंदिर में वर्ष 2008 में विधि विधान से रावण की मूर्ति स्थापित की गई थी। तब से आज तक हर विजयदशमी को रावण की पूजा की जाती है।
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