सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने तिलोर को जैसलमेर के पुलिस थाना नाचना के सीमावर्ती बाहला गांव के पास भूंगरी सीमा चौकी क्षेत्र में पकड़ा था और पक्षी के पैरों में तीन टैग लगे हुए थे। सीमा सुरक्षा बल ने उनके पैरों में लगे टैग उतार कर जब्त कर लिए और घायल पक्षी को वन विभाग को सुपुर्द कर दिया गया जहां से 9 अप्रैल को जोधपुर वन्यजीव चिकित्सालय रेफर किया गया। टैग से पता चला की घायल तिलोर अबु धाबी स्थित कृत्रिम तिलोर प्रजनन केंद्र के है। वन्यजीव चिकित्सक डॉ श्रवण सिंह राठौड़ व चिकित्सा सहायक महेंद्र गहलोत ने उपचार शुरू किया।
मादा तिलोर को कड़ी सुरक्षा में एसडीएस विशेष खाद्य पदार्थ, रिजगा,उबले अंडे,मीट पीस,मतीरा और बारीक कंकर भोजन के रूप में दिया जा रहा है। चिकित्सक स्टाफ के अलावा किसी को भी तिलोर के पास जाने की अनुमति नही है। मुख्य वन संरक्षक प्रियरंजन और उपवन संरक्षक महेश चौधरी ने बताया की घायल तिलोर के पंखों की ऐरो डायनेमिक जांच के बाद स्वस्थ पाए जाने पर आगामी शीतकाल में पुन: सीमा क्षेत्र में स्वतंत्र कर दिया जाएगा।
वैज्ञानिक नाम : कलमयदोटिस मैकेएनी
विचरण क्षेत्र : मध्य एशिया के अरब क्षेत्र से पश्चिमी राजस्थान तक
भारत में प्रवास : नवंबर से मार्च
परियोजना : ईआरडीएस फाउंडेशन संस्थान के सामुदायिक गोडावण संरक्षण परियोजना के अंतर्गत युवा वन्यजीव स्वयंसेवक पिछले 2 वर्ष से इसके आवागमन और विचरण के इलाकों की कर रहे मैपिंग