स्वर्ण जयंती पर बना था कीर्ति स्तंभ आजादी के स्वर्ण जयंती वर्ष के दौरान 15 अप्रेल 1999 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कीर्ति स्तंभ का अनावरण किया। स्तंभ के दांए-बांए और पीछे की तरफ तीस लोगों के नाम उत्कीर्ण है जिन्हें करीब आठ माह तक बंदी रखा गया था। किले तक पहुंचने के लिए सड़क का निर्माण तो हो चुका है। हाल ही में राÓय सरकार ने बजट में किले के जीर्णोद्धार के लिए बजट की घोषणा की लेकिन अभी तक कुछ भी कार्य नहीं हो सका है। स्वतंत्रता सेनानियों के समक्ष रखी थी ये शर्ते सरकार ने सजा काटकर घर जाने वाले आंदोलनकारियों को पुन: आंदोलन में कूदने की समस्या से निपटने के लिए तय किया कि सजा काट चुके उसी बंदी को रिहा जाएगा जो लिखित में बयान दे कि वह जेल से छूटने के बाद ब्रिट्रिश सरकार व अन्य रियासती सरकारों के खिलाफ परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से कोई कार्रवाई नहीं करेगा और ना ही इसमें सहायक बनेगा। ऐसा नहीं लिखकर देने वालों को जेल से बाहर निकलते ही गिरफ्तार कर जोधपुर के नजरबंद कैम्प माचिया किले में भेज दिया गया।
यह थे माचिया किले में नजरबंद स्वतंत्रता सेनानी रणछोड़दास गट्टानी, राधाकृष्ण बोहरा तात, भंवरलाल सर्राफ, तारकप्रसाद व्यास, शांति प्रसाद व्यास , गणेशचन्द्र जोशी, मौलाना अतहर मोहम्मद, बालकृष्ण व्यास, पुरुषोत्तमदास नैयर, नरसिंगदास लूंकड़, हुकमराज मेहता, द्वारकादास पुरोहित, माधोप्रसाद व्यास, कालूराम मूंदड़ा, गोपाल मराठा, पुरुषोत्तम जोशी, मूलराज घेरवानी, गंगादास व्यास, हरिन्द्र कुमार शास्त्री, इन्द्रमल फोफलिया, छगनलाल पुरोहित, श्रीकृष्ण कल्ला, तुलसीदास राठी,(सभी जोधपुर ) शिवलाल दवे नागौर, देवकृष्ण थानवी, गोपाल प्रसाद पुरोहित, संपतलाल लूंकड़,सभी फलोदी, भंवरलाल सेवग पीपाड़, हरिभाई किंकर, मीठालाल त्रिवेदी सोजत, शांति प्रसाद व्यास, अचलेश्वर प्रसाद शर्मा मामा, बालमुकुंद बिस्सा, जोरावरमल बोड़ा, गिरिजा जोशी