हवा की गति धीमी
प्रदूषण नियंत्रण विशेषज्ञों के मुताबिक जून से लेकर सितम्बर तक मानसून होने की वजह से हवा साफ थी। एक्यूआइ 100 के नीचे बना हुआ था। कई जगह एक्यूआइ 50 के नीचे रिकॉर्ड हो रहा था, लेकिन मानसून जाते ही पश्चिमी हवा बहने लग गई। हवा की गति भी धीमी हो गई, जिसके कारण हवा में प्रदूषक तत्व बढ़ रहे हैं। सर्वाधिक प्रदूषण छोटे कणों यानी पार्टिकुलेटर मैटर का है, जिसमें धूल कण, गैस कण, कार्बन कण, धातु गण सहित अन्य पदार्थों के 2.5 से 10 माइक्रोग्राम के कण होते हैं। जो श्वास के जरिए शरीर में जाकर नुकसान पहुंचाते हैं।एक्यूआइ अधिक होने से यह होती है दिक्कत
एक्यूआइ- गुणवत्ता- प्रभाव0 से 50- अच्छी हवा- बहुत कम प्रभाव
51 से 100 – संतोषजनक हवा – संवेदनशील लोगों को मामूली दिक्कत
101 से 200 – मध्यम स्तर की हवा – अस्थमा व फेफड़े व हार्ट रोगियों को दिक्कत
201 से 300 – खराब हवा – अधिक समय तक एक्सपोजर से सभी को सांस में परेशानी
301 से 400 – बहुत खराब – अधिक एक्सपोज से श्वसन रोग का खतरा
401 से 500 – बेहद खराब- पहले से बीमार लोगों को गंभीर खतरा
चार शहरों का एक्यूआइ 200 के ऊपर
शहर- एक्यूआइनागौर- 217
टोंक- 213
बीकानेर- 208
जयपुर- 203