इस घटना के बाद विवि प्रशासन ने महेंद्र चौधरी को विवि से निष्कासित कर दिया है। विवि प्रशासन ने इसे एमबीएम के 74 साल के इतिहास में दुर्लभतम से दुर्लभतम मामला मानते हुए यह कार्रवाई की है। विवि के चीफ प्रोक्टर डॉ. शैलेंद्र चौधरी ने सोमवार रात ही इसके आदेश जारी कर दिए थे, लेकिन विवि ने इसे मंगलवार को सार्वजनिक किया।
4 घंटे की बैठक के बाद 21 प्रोफेसर ने फैसले पर हस्ताक्षर किए
जोधपुर में सोमवार सुबह 10.30 बजे एमई फर्स्ट सेमेस्टर परीक्षा के दौरान ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग का छात्र महेंद्र चौधरी मोबाइल से नकल कर रहा था। वीक्षक डॉ. अमित मीणा ने उसे पकड़कर इसकी सूचना परीक्षा केंद्र अधीक्षक प्रोफेसर श्रवणराम को दी। गुस्साए छात्र महेंद्र ने श्रवणराम को लात मारकर चेहरे पर घूंसा जड़ दिया।
जीभ कटने से श्रवणराम के खून निकलने लगा। डॉ. अमित मीणा को चांटा मारने से उनका चश्मा टूट गया। कुलपति प्रो. अजय शर्मा की अध्यक्षता में सोमवार अपराह्न 4 बजे से लेकर रात 8 बजे तक डीन, डायरेक्टर, सभी एचओडी की बैठक में महेंद्र को निष्कासित करने का फैसला लिया। फैसले पर 21 प्रोफेसर ने हस्ताक्षर किए।
इन 5 मामलों में महेंद्र को माना दोषी
- आधिकारिक ड्यूटी के दौरान शिक्षकों के साथ हाथापाई
- विवि परीक्षा में बाधा पहुंचाना
- अनुशासनहीनता का दुर्लभतम से दुर्लभतम मामला
- आपराधिक कृत्य
- परीक्षा कक्ष में शिक्षकों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग
मेडिकल हुआ, बयान दर्ज किए
इस मामले में डॉ. अमित मीणा की रिपोर्ट पर पुलिस ने मारपीट और एससी व एसटी की धाराओं में एफआइआर दर्ज की। एसीपी हेमंत कलाल ने मंगलवार को ही जांच शुरू करते हुए प्रो. श्रवणराम और डॉ. अमित मीणा के बयान दर्ज किए। दोनों का मेडिकल भी करवाया।
रसूख के कारण महेंद्र छूटा
रातानाडा थाना पुलिस ने सोमवार को महेंद्र को शांतिभंग में गिरफ्तार किया था, जबकि दोनों शिक्षकों ने एससी एसटी, मारपीट, राजकीय कार्य में बाधा का मुकदमा दर्ज कराया था। अपने रसूख के कारण महेंद्र शांतिभंग में गिरफ्तार होकर छूट गया।
दो साल पहले भी 6 महीने के लिए हुआ था सस्पेंड
छात्र महेंद्र चौधरी दो साल पहले भी छह महीने के लिए सस्पेंड हुआ था। उस समय वह अन्य छात्रों के साथ अपनी मांगों को लेकर कैंपस में पानी की टंकी पर चढ़ गया था। पुलिस की समझाइश के बाद उसे देर शाम उतारा गया। तब विवि ने अनुशासनहीनता के आरोप में सस्पेंड किया था।