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जोधपुर

रेगिस्तानी सांप पीवणा के जहर पर दक्षिण की दवा बेअसर, 5 साल में जोधपुर एम्स में आए 210 मरीज

दक्षिण भारत के अन्य प्रजाति के सांपों के जहर से बनी यह दवा राजस्थानी सांपों पर इसलिए कारगर साबित नहीं हो रही है क्योंकि रेगिस्तानी सांप दक्षिण के सांपों से ज्यादा जहरीले हैं।

जोधपुरJan 22, 2025 / 07:33 am

Lokendra Sainger

desert snake Pivana

रेगिस्तानी सांप पीवणा

गजेंद्र सिंह दहिया
Desert Snake Pivana: जोधपुर। रेगिस्तानी वाइपर (पीवणा) जिस व्यक्ति को काट लेता है उस पर दक्षिण भारत में बना एंटीवेनम इंजेक्शन बेअसर हो रहा है। दक्षिण भारत के अन्य प्रजाति के सांपों के जहर से बनी यह दवा राजस्थानी सांपों पर इस लिए कारगर साबित नहीं हो रही है क्योंकि रेगिस्तानी सांप दक्षिण के सांपों से ज्यादा जहरीले हैं।

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ऐसे में राजस्थान में सर्प दंश से पीड़ित लोगों को मुश्किल हालात से गुजरना पड़ रहा है। दरअसल राजस्थान के अस्पतालों में मिल रही दवा रेगिस्तानी सांपों का जहर काटने में नाकाम साबित हो रही है। राजस्थान में आधे से अधिक सांप काटने के मामले सॉ स्केल्ड वाइपर (इकिस कैरिनैटस चुरकी) यानी पीवणा एंटीवेनम सांप के हैं। पीवणा सांप का जहर उतारने के लिए 70% मरीजों पर दक्षिण की एंटीवेनम कारगर नहीं है।
सांप काटने पर मरीज को 5 से 10 एंटीवेनम इंजेक्शन लगते हैं जबकि गांवों में 150 से 200 इंजेक्शन लगाने के बावजूद जहर नहीं उतर रहा है। यह खुलासा एम्स जोधपुर सहित देश के तीन बड़े संस्थानों के शोध में हुआ है। शोध के अनुसार देशभर में सांप के जहर का तोड़ बनाने की दवा (एंटीवेनम) का लाइसेंस (वेनम कलेक्शन सेंटर) केवल एकमात्र संस्था तमिलनाडू की इरुला कॉपरेटिव सोसायटी को मिला हुआ है। यह 1978 से दक्षिण भारत के सांपों को पकड़कर उनके जहर से एंटीवेनम बना रही है।

चार सांपों के जहर से बनता है एंटीवेनम

इरुला सोसायटी चार जहरीले सांप रसेल वाइपर, सॉ स्केल्ड वाइपर, क्रेट और कोबरा सांप के जहर से पॉलीवेलेंट एंटीवेनम बनाती है।

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इन संस्थाओं का शोध

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर, अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज लखनऊ और डॉ. राममनोहर लोहिया हॉस्पिटल दिल्ली।

छाती पर बैठता है पीवणा

जानकारों का कहना है कि पीवणा सांप सोते व्यक्ति की छाती पर बैठ जाता है और एक अजीब सी आवाज करता है व सांस के माध्यम से अपना जहर छोड़ता रहता है। यही कारण है कि रेगिस्तानी इलाकों में लोग ऊंची चारपाई या तखत पर सोते हैं।
सॉ स्केल्ड वाइपर की उप प्रजाति राजस्थान के अलावा, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और खाड़ी देशों में पाई जाती है। हमने शोध में देश में रीजनल वेनम कलेक्शन सेंटर का सुझाव दिया है। स्थानीय सांपों के इलाज के लिए उनके जहर से बना इंजेक्शन ही अधिक प्रभावी होगा।- डॉ. माया गोपालकृष्ण, माइक्रोबायोलॉजी विभाग, एम्स जोधपुर

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