इस तरह की मॉनिटरिंग भारत में पहली बार हो रही है, जिसमें अन्तरराष्ट्रीय स्तर से प्रवासी पक्षियों की लोकेशन ट्रेस कर खीचन भेजी जा रही है, जिसके माध्यम से वन विभाग व पशुपालन विभाग की ओर से गठित संयुक्त टीम मौके पर पहुंच कर मॉनिटरिंग कर रही है।
कॉकटाई व टेवा क्रेन से राह हुई आसान
गत 15 दिसंबर को फलोदी में कुरजां में बर्ड फ्लू के लक्षण की पुष्टि के बाद कुरजां के प्रवास स्थलों को ट्रेस करना विशेषज्ञों के लिए बड़ी चुनौती थी। संयोगवश विश्व भ्रमण के लिए सेटेलाइट टैग लगी दो कुरजां टैवा व कॉकटाई अगले ही दिन 16 दिसंबर को खीचन पहुंच गई। सेटेलाइट आधारित पद्धति से 20 दिसंबर से लगातार रूस की प्रमुख वैज्ञानिक एलिना रिसया रिंग लगी कुरजां की लोकेशन भेजने लगीं, जिससे जिम्मेदारों को कुरजां के सुक्ष्म प्रवास स्थलों की जानकारी मिलने लगी। जिसके बाद से सर्वे में जुटी टीम के लिए प्रवास स्थलों की मॉनिटरिंग आसान हो गई।
दो देश, तीन राज्यों से होते हुए खीचन पहुंची
विशेषज्ञों के अनुसार खीचन पहुंची रिंग लगी कॉकटाई कुरजां ने पूरे समूह के साथ रशिया के अल्ताई से उड़ान भर कर मंगोलिया, जमू कश्मीर, पंजाब से
राजस्थान में प्रवेश किया और लूणकरणसर से होकर 16 दिसंबर को खीचन पहुंची। जहां पहले से संक्रमित डेमोसाइल क्रेन के समूह में शामिल हो गई। इसमें से टैवा वर्तमान समय में जोधपुर और कॉकटाई खीचन में ही प्रवास कर रही है।
पहली बार उपयोग
खीचन में प्रवासी पक्षी कुरजां में संक्रमण फैलने की सूचना के बाद रशिया की वैज्ञानिक एलिना ने खीचन प्रवास कर रही कॉकटाई व टैवा की सेटेलाइट रिंग से मिली लोकेशन को शेयर किया। जिससे यहां सर्वे का कार्य सुगम हुआ। पहली बार है जब प्रवासी पक्षियों के प्रवास क्षेत्रों की सेटेलाइट लोकेशन को सुरक्षा के लिहाज से जिम्मेदारों को शेयर किया गया है। - डॉ. दाऊलाल बोहरा, पक्षी विशेषज्ञ
नए मामले नहीं
प्रवासी पक्षी डेमोइसेल क्रेन के संक्रमण के नए मामले नहीं आने से राहत है, फिर भी वन व पशुपालन विभाग की टीम फील्ड में लगातार मॉनिटरिंग कर रही है। सेटेलाइट से मिल रही वूक्ष्म प्रवास स्थलों पर भी सर्वे किया जा रहा है। सेटेलाइट की लोकेशन पर कोई बीमार व संक्रमित पक्षी नहीं मिला है। आमजन भी बीमार कुरजां दिखाई देने पर विभाग को जानकारी दे सकते हैं।
- कृष्ण कुमार व्यास, एसीएफ, वनविभाग, फलोदी