उप निरीक्षक विश्राम मीणा ने बताया कि कमिश्नर कार्यालय की संस्थापन शाखा में पदस्थापित प्रवेन्द्रसिंह पुत्र डूंगरसिंह राठौड़ ने कमिश्नर कार्यालय के तत्कालीन कैशियर हेमंत पालावत के खिलाफ 67,600 रुपए के गबन का मामला दर्ज कराया है। आरोपी हेमंत पालावत 28 मार्च 2020 से 28 जुलाई 2022 तक कमिश्नर कार्यालय में बतौर कैशियर था। इस दौरान पुलिस कार्मिक कल्याण न्यास में जमा करवाने के लिए 12 जुलाई 2021 को 26 पुलिस कर्मचारियों से 26-26 सौ रुपए नकद लिए गए थे। कैशियर हेमंत ने इनसे 67,600 रुपए लेकर सभी को रसीद दी गई थी। कार्यालय के दस्तावेजों में राशि जमा होने की प्रविष्टि भी की गई थी, लेकिन कैशियर ने यह राशि पुलिस कमिश्नर के बैंक खाते में जमा नहीं करवाकर हड़प कर ली। विभाग ने जांच की तो गबन की पुष्टि हुई। इस पर प्रवेन्द्रसिंह ने एफआइआर दर्ज करवाई।
पुलिस मुख्यालय को चेक भेजा
कैशियर हेमंत ने पुलिस कार्मिक कल्याण न्यास के तहत राशि जमा करके रसीद देकर प्रविष्टि कर ली। उसने पुलिस मुख्यालय को भेजने के लिए राशि का चेक भी भेज दिया। जबकि राशि बैंक खाते में जमा नहीं करवाई थी।
43 लाख का गबन जांच में 2.13 करोड़ तक पहुंचा
उप निरीक्षक दीपलाल ने बताया कि हेमंत पालावत के खिलाफ 6 जुलाई 2023 को धोखाधड़ी व गबन का मामला दर्ज कराया गया था। जिसमें यातायात पुलिस में चालान के जुर्माने के तौर पर जमा होने वाले 43 लाख रुपए का गबन करने का आरोप लगाया गया था। गबन राशि अधिक होने की आशंका पर विभागीय जांच की गई थी। जिसमें गबन की राशि 43 लाख से बढ़कर 2.13 करोड़ रुपए तक पहुंच गई थी। जांच में आरोप साबित होने पर हेमंत पालावत को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया था। उसके खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया जा चुका है। हाईकोर्ट से जमानत याचिका स्वीकार होने पर वह जेल से बाहर है। उसे विभाग ने निलम्बित कर रखा है।