दहेज में मिले थे ‘श्यामजी’, राव गांगा ने मंदिर बनवाया तो बन गए ‘गंगश्यामजी’ आराध्य देव रणछोड़ के आगे रानी राजकंवर ने अपना नाम जोडकऱ मंदिर का नाम राज-रणछोड़ मंदिर रखा। वर्तमान में देवस्थान विभाग प्रबंधित मंदिर में जन्माष्टमी पर विशेष मनोरथ और आकर्षक रोशनी की जाती है। राजरणछोड़ मंदिर के कलात्मक मुख्य प्रवेश द्वार से करीब तीस सीढिय़ां पूरी होने के बाद एक कलात्मक तोरणद्वार है। मंदिर के गर्भगृह में काले मकाराना पत्थर की भगवान रणछोड़ की प्रतिमा स्थापित है।
229 साल प्राचीन है जोधपुर का प्रख्यात कुंजबिहारीजी का मंदिर, धूमधाम से मनाया जाता है तीज का त्यौहार इतिहाविदों के अनुसार राजकंवर का विवाह नौ वर्ष की आयु में जोधपुर के तत्कालीन राजकुमार जसवंतसिंह के साथ हुआ था। वर्ष 1854 में हुए ‘खाण्डा’ विवाह के दौरान राजकुमार जसवंत सिंह की सिर्फ तलवार को ही जामनगर भेजा गया और तलवार के साथ राजकुमारी ने सात फेरे लिए थे। जोधपुर के मेहरानगढ़ में प्रवेश करने के बाद रानी राजकंवर जीवनभर दुर्ग से बाहर नहीं निकली। रानी ने मंदिर के पास ही जसवंत सराय का निर्माण भी करवाया था।