पानी को ढक देता है
मखाने का पौधा कमल के साथ होता है। कमल के जैसा होने के कारण बोलचाल की भाषा में लोट्स सीड भी कहते हैं। इसकी पत्तियां बड़ी-बड़ी होती हैं, जिससे ये पूरे पानी को ढक देता है। मखाना उगाने के लिए तालाब चाहिए होता है। यह भी पढ़ें –
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मखाना एक ड्राई-फ्रूट और पोषक तत्वों की खान है। यह ग्लूटेन फ्री है। इसमें डायबिटीज प्रतिरोधकता के यौगिक एचबीएसी है। इसका ड्रग डिलीवरी में योगदान है। इसके साथ ही मखाना संवर्धन के साथ मत्स्य-पालन भी किया जा सकता है। वर्तमान में बिहार और आसपास के क्षेत्रों में ही मखाने की कटाई एवं इसकी प्रोसेसिंग, मार्केटिंग एवं इनसे बनने वाली विभिन्न रेसिपीज के उद्योग है। यहां मखाने की खेती के बाद रोजगार को भी बढ़ावा मिल सकता है। हाल ही में जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय की ओर से मखाने पर एक्सटेंशन लेक्चर का आयोजन किया था। एलएन मिथिला विवि के प्रोफेसर विद्यानाथ झा ने इसके महत्व पर प्रकाश डाला।
खेती की जा सकेगी
मखाने की खेती के लिए अधिक पानी चाहिए इसलिए अभी तक जोधपुर और आसपास के क्षेत्रों में इसके प्रयास नहीं किए गए हैं। अगर यहां कुछ तालाबों में इसका प्रयोग किया जाया तो अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। जिससे भविष्य में इसकी व्यविस्थत रूप से खेती की जा सकेगी।