अपनों की जिंदगी बचाने के लिए 3 घंटों तक संघर्ष करते हैं यहां के लोग, आंकड़े उड़ा देंगे गहलोत सरकार के होश
कोविड महामारी के बाद से पश्चिमी राजस्थान के फलोदी में हार्ट अटैक से मौतों का सिलसिला लगातार बढ रहा है, लेकिन बावजूद इसके स्थानीय अस्पताल में हृदय रोग, फीजिशियन, एनेस्थेसियां जैसे चिकित्सकों का अभाव है
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फलोदी। सीमावर्ती जिले फलोदी को जिला घोषित किया गया है लेकिन जिले में कॉर्डियालोजिस्ट, फिजीशियन, एनेस्थेसिया जैसे विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं होने से जीवन बचाने के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधाओं के दावे पूरे नहीं हो पा रहे है। पांच जिलों के मध्य फलोदी में पांच जिलों के सीमाई क्षेत्र के ग्रामीण भी उपचार के लिए आते है। ऐसे में यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी मानव जीवन के लिए खतरा बनी हुई है। राजनीतिक रसूख रखने वाले जिम्मेदार विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं करवा पा रहे। हालात यह है कि आजादी के सात दशक बाद भी फलोदी क्षेत्र की चिकित्सा सुविधाएं बेहतर नहीं हुई है, जिससे हार्ट अटैक व सड़क दुर्घटनाओं के बाद बन रही आपातकालीन स्थिति में मानव जीवन को बचाना काफी हद तक मुश्किल हो रहा है।
मुख्यमंत्री के करीबी होने का दावा विफल गौरतलब है कि फलोदी पर सीएम का विशेष स्नेह माना जाता है और यहां के राजनीतिक रसूख रखने वाले कांग्रेस के पदाधिकारी सीएम के खास होने का दावा भी करते है, लेकिन यह दावा विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति करवाने में अब तक असफल साबित हुआ है।
नहीं आ रही तकनीक काम गौरतलब है कि वैज्ञानिकों ने हार्ट अटैक से मानव जीवन बचाने के लिए तकनीक तैयार की है, लेकिन इस तकनीक का उपयोग कर मानव जीवन को बचाने वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों का फलोदी में नहीं होने से बेहतर चिकित्सा सुविधाओं के दावे खोखले साबित हो रहे है। कोविड महामारी के बाद से पश्चिमी राजस्थान के फलोदी में हार्ट अटैक से मौतों का सिलसिला लगातार बढ रहा है, लेकिन बावजूद इसके स्थानीय अस्पताल में हृदय रोग, फीजिशियन, एनेस्थेसियां जैसे चिकित्सकों का अभाव है। जिसके कारण यहां के अस्पतालों में उपचार की बजाए रेफर कार्ड थमा कर इतिश्री की जा रही है।
फैक्ट फाइल 3 घंटे के संघर्ष के बाद जोधपुर पहुंचने पर मिलता है अभी उपचार 135 किलोमीटर दूर है फलोदी से जोधपुर के बड़े अस्पताल 5 जिलों के मध्य स्थित है नवसृजित फलोदी जिला क्षेत्र
76 साल बाद भी आपातकालीन सुविधा को है फलोदी मोहताज 100 से अधिक हार्ट अटैक से हो चुकी है गत एक साल में फलोदी में मौतें 5 हजार से अधिक हर माह उपचार के लिए जोधपुर जाने को हो रहे मजबूर
50 लाख से अधिक भामाशाहों की ओर से दी गई मशीनें भी फांक रही धूल 1.75 करोड़ से अधिक लागत से सिटी स्कैन मशीन है स्थापित 1 हजार से अधिक रोगी हर दिन उपचार के लिए आ रहे सरकारी अस्पताल
5 हजार से अधिक रोगी निजी अस्पतालों में उपचार के लिए लगा रहे चक्कर 12 से अधिक निजी अस्पतालों में भी नहीं कॉर्डियालोजिस्ट चिकित्सक
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