जोधपुर ग्रामीण जिले का गठन न के बराबर था
गत
राज्य सरकार के नए जिलों के नोटिफिकेशन के बाद जोधपुर ग्रामीण जिले को लेकर कोई नीति स्पष्ट नहीं रही। जोधपुर ग्रामीण का कलक्ट्रट कहां होगा? अधिकारी कहां बैठेंगे? इस पर कोई कार्य नहीं किया गया था। जोधपुर ग्रामीण के लिए अलग से कोई कार्यालय तय नहीं किया गया। साथ ही कलक्टर का चार्ज भी जोधपुर कलक्टर को ही सौंपा गया। इससे प्रशासनिक तौर पर जोधपुर ग्रामीण जिले का गठन न के बराबर ही किया गया।
एक साल पांच माह बाद फिर जोधपुर व जोधपुर ग्रामीण जिला हुआ एक
अब
जोधपुर ग्रामीण जिले के अतिरिक्त जिला कलेक्टर का कार्यालय इतिहास बन जाएगा। जिला प्रशासन अब इस कार्यालय को किसी और अधिकारी के लिए उपयोग करेगा।
बना सबसे बड़ा संभाग, अब 8 जिले, फिर गुजरात-मेवाड़ तक लगेगी सीमा
तीन नए संभाग खत्म करने के साथ पाली संभाग के जिले भी अब पहले ही तरह जोधपुर संभाग में शामिल होंगे। जोधपुर संभाग जिलों की संख्या के लिहाज से प्रदेश का सबसे बड़ा संभाग होगा। इसमें 8 जिले शामिल होंगे। हालांकि क्षेत्रफल तो पहले जितना ही रहेगा, लेकिन पिछली बार से 2 जिले ज्यादा होंगे। जोधपुर संभाग की सीमा अब फिर से मेवाड़ यानि राजसमंद से मिलेगी। वहीं सिरोही के गुजरात बॉर्डर तक भी संभाग की सीमा रहेगी। नए जिले की अब आबादी करीब 20 लाख होगी। अब जोधपुर में शामिल होंगे
उपखंड : 10
तहसील : 14
पंचायत समिति : 14
पटवार मंडल : 366
ग्राम पंचायत : 407
राजस्व ग्राम : 1306
ये जिले आएंगे जोधपुर संभाग के अधीन
जोधपुर, फलोदी, बाड़मेर, बालोतरा, जैसलमेर, पाली, जालोर, सिरोही।
अब 10 उपखंड और 14 तहसीलें
जोधपुर उत्तर और दक्षिण-तहसील का हिस्सा, कुड़ी भगतासनी, लूणी, झंवर, बिलाड़ा, भोपालगढ़, पीपाड़सिटी, ओसियां, तिंवरी, बावड़ी, शेरगढ़, बालेसर, सेखाला और चामू।
फिर पुराने स्वरूप में आएगा जोधपुर
1- लोअर कोर्ट और हाईकोर्ट भवन दोनों ही अब जोधपुर जिले में होंगे जबकि पहले हाईकोर्ट भवन ग्रामीण जिले में हो गया था।
2- आइआइटी, कृषि विश्वविद्यालय, एनएलयू, एफडीडीआइ और फिनटेक जैसे इंस्टीट्यूट भी अब फिर से जोधपुर जिले में।
3- बोरानाडा, रीको और नए इंडस्ट्रियल पार्क भी फिर से जोधपुर जिले में शामिल।
यह दो जिले हो गए निरस्त
पाली संभाग का सांचौर और जोधपुर संभाग का जोधपुर ग्रामीण जिला निरस्त हो गया है। यदि यह भी यथावत रहते तो संभाग में 10 जिले होते। कांग्रेस सरकार ने जब पाली संभाग नहीं बनाया था तो जोधपुर संभाग में 6 जिले शामिल थे, लेकिन अब दो नए जिलों के साथ यह संख्या 8 हो गई है। ग्रामीण सीएमएचओ लगाया, अब संशय
ग्रामीण जिला अलग होने के बाद सरकार ने सीएमएचओ की अलग नियुक्ति कर दी थी। फलोदी के अलावा ग्रामीण व शहरी सीएमएचओ अलग लगाए गए। जोधपुर ग्रामीण सीएमएचओ व अतिरिक्त सीएमएचओ का कार्यालय अलग नहीं किया गया, लेकिन क्षेत्राधिकार बंट गए थे। अब फिर से जिला एक होने से इनके क्षेत्राधिकार पर भी संशय बना हुआ है।
अब फिर से जोधपुर रेंज में पाली रेंज
पाली संभाग निरस्त करने के साथ ही पाली रेंज भी नहीं रहेगी। ऐसे में पाली रेंज के अधीन वाली पाली, जालोर व सिरोही पुलिस फिर से जोधपुर रेंज में शामिल हो जाएगी। जोधपुर रेंज में अब जोधपुर ग्रामीण, फलोदी, बालोतरा, बाड़मेर, जैसलमेर, पाली, जालोर, सिरोही जिला पुलिस शामिल हो जाएगी। आइजी (रेंज) जोधपुर विकास कुमार का कहना है कि क्षेत्रफल की दृष्टि से जोधपुर रेंज काफी बड़ी है, लेकिन कार्यशैली के नजरिए से पाली रेंज अलग होने से जोधपुर रेंज छोटी हो गई थी। रेंज में सिर्फ 12 हजार मामले ही थे। सरकार के निर्णय से कानून व्यवस्था व अपराध नियंत्रण में फायदा होगा।
औद्योगिक विकास अब एक साथ
जोधपुर व जोधपुर ग्रामीण जिला बनने के बाद औद्योगिक विकास भी बंट गया था। जोधपुर जिले की सीमा चूंकि सिर्फ नगर निगम तक की सीमित थी ऐसे में यहां किसी प्रकार का औद्योगिक विकास संभव ही नहीं था। राइजिंग राजस्थान में भी हो एमओयू हुए वह भी सभी नए उद्योग ग्रामीण जिले में ही स्थापित होने वाले थे। पाली-जोधपुर औद्योगिक क्षेत्र भी ग्रामीण जिले में ही लगने वाला था। इसके अलावा बोरानाडा, तिंवरी और केरू जो कि शहर से सटा हिस्सा था और औद्योगिक विकास काफी हद तक जोधपुर से प्रभावित था, वहां ग्रामीण जिला बनाकर अलग कर दिया था। लेकिन अब ग्रामीण जिला समाप्त करने से औद्योगिक विकास समग्र रूप से हो सकेगा।
अब नहीं लगेगी एक ही मोहल्ले में दो जिलों की सीमा
नगर निगम सीमा से बाहर निकलकर जो शहर बसा हुआ है, उसे पहले जोधपुर ग्रामीण में शामिल किया गया था। ऐसे में जोधपुर शहर के कई मोहल्ले ऐसे थे, जहां 2 जिलों की सीमा लग रही थी। मधुबन हाउसिंग बोर्ड नगर निगम की सीमा क्षेत्र में आता है, लेकिन कुछ आगे निकलने पर जोधपुर ग्रामीण जिले की शुरुआत होती थी। कमोबेश यही हालात बनाड़ रोड, सारण नगर, चौपासनी पाल रोड की भी थी।
17 हजार करोड़ के एमओयू हुए
राइजिंग राजस्थान में जोधपुर जिले में 17 हजार करोड़ के एमओयू हुए हैं। लेकिन इनमें शहरी क्षेत्र में महज 10 करोड़ का ही निवेश आ सकता था, बाकि पूरा निवेश ग्रामीण जिले में था। लेकिन ग्रामीण जिले में अलग से न तो रजिस्ट्रार कार्यालय और न ही रीको विंग, उद्योग केन्द्र भी एक ही था। अब दोनों जिले एक होने से आने वाले दिनों में राइजिंग राजस्थान के निवेश पर धरातल पर उतारने में आसानी रहेगी।
स्वागत योग्य कदम
जोधपुर ग्रामीण जिले को अगर भौतिक रूप से देखा जाए तो यहां प्रशासनिक रूप से संचालन करना बहुत मुश्किल कार्य हो जाता था। इनका कोई वित्तीय प्रबंधन और कोई व्यवस्था भी नहीं थी। ऐसे में राज्य में अनावश्यक जिलों व संभागों को समाप्त करने का निर्णय स्वागत योग्य है। सुरताराम देवासी, डोली
बड़ा धोखा किया
आमजन को ज्यादा कुशल प्रशासनिक व्यवस्था उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से राज्य में विभिन्न जिलों एवं संभागों का गठन किया था। जोधपुर ग्रामीण जिला बना तो ग्रामीणों को अपने सरकारी कार्य करवाने में आसानी होने लगी थी। लेकिन सरकार ने आज संभागों एवं जिलों को समाप्त कर वहां के लोगों के साथ बहुत बड़ा कुठाराघात किया है।