जोधपुर

प्रदेश का पहला एेसा विवि जहां वीसी-रजिस्ट्रार है,शिक्षक-विद्यार्थी नहीं

MBM University Jodhpur
– चार महीने बाद भी कागजों में ही चल रहा है एमबीएम विवि

जोधपुरJan 31, 2022 / 04:16 pm

Gajendrasingh Dahiya

प्रदेश का पहला एेसा विवि जहां वीसी-रजिस्ट्रार है,शिक्षक-विद्यार्थी नहीं

गजेंद्रसिंह दहिया
जोधपुर. जोधपुर का एमबीएम विश्वविद्यालय प्रदेश का एेसा पहला विश्वविद्यालय है जहां कुलपति, रजिस्ट्रार व वित्त नियंत्रक तो है, लेकिन अभी एक भी शिक्षक और विद्यार्थी नहीं है। बीते चार महीनों से केवल कागजों में ही विवि का नाम चल रहा है। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय की इंजीनियरिंग फैकल्टी यानी एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज तोडक़र जल्दबाजी में बनाया गया विवि मूर्त रूप नहीं ले सका है।
विधानसभा में एमबीएम विवि विधेयक पास होने और राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह विवि पिछले साल सितम्बर में अस्तित्व में आया था। इसके बाद २ अक्टूबर को प्रो अजर्य शर्मा को कुलपति और २१ अक्टूबर को आईआरएस पदमाराम को रजिस्ट्रार बना दिया गया। राज्य सरकार ने वित्त नियंत्रक के रूप में २२ दिसम्बर को राज्य लेखा सेवा के अधिकारी दशरथ सोलंकी की नियुक्ति भी कर दी, लेकिन अभी विवि में शैक्षणिक गतिविधियां शुरू नहीं हो पाई है।
हिचकौले खा रहा हस्तांतरण
एमबीएम विवि के पास खुद का कैंपस तक नहीं है। तीनों अधिकारी जेएनवीयू के स्वामित्व वाले कैंपस में ही बैठकर कागजी कामकाज निपटाते हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने ६ जनवरी को एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज के समस्त 10 विभागों की चल व अचल परिसंपमियों के अलावा उनके दायित्व एमबीएम विवि को हस्तांरित करने की अनुमति दी थी लेकिन आधे-अधूरे आदेश के कारण एक महीने बाद भी जेएनवीयू और एमबीएम विवि के बीच हैंड ऑवर-टैक ऑवर नहीं हो सका है।
यहां तो इंजीनियरिंग शब्द ही नहीं
तीन दिन पहले जेएनवीयू के दीक्षांत समारोह को वर्चुअली संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार रिफाइनरी को देखते हुए पेट्रोलियम इंजीनियरिंग शुरू कर रही है। इसके लिए एमबीएम को विश्वविद्यालय बनाया गया है लेकिन वास्तव में एमबीएम तकनीकी विवि है ही नहीं। यह एक सामान्य संकाय विवि बना है जहां कला, वाणिज्य व विज्ञान संकाय बनाने होंगे। उल्टा एमबीएम से इंजीनियरिंग शब्द ही हटा दिया गया है।
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‘सरकार ने छह जनवरी को दस विभाग सौंपने को कहा था लेकिन जेएनवीयू हमें दे नहीं रहा है।’
-प्रो अजय शर्मा, कुलपति, एमबीएम विश्वविद्यालय जोधपुर

‘हमारी सिण्डीकेट ने जो प्रस्ताव पारित किए थे, वे सरकार ने अब तक मंजूर करके नहीं भेजे हैं। आधे-अधूरे आदेशेां से व्यवधान बढ़ेगा।’
– प्रो पीसी त्रिवेदी, कुलपति, जेएनवीयू जोधपुर

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