scriptगरीब भी कोर्ट के फैसले को पढ़ व समझ सके : ओम बिरला | Lok Sabha Speaker Om Birla addressed the Platinum Jubilee Seminar of Rajasthan High Court | Patrika News
जोधपुर

गरीब भी कोर्ट के फैसले को पढ़ व समझ सके : ओम बिरला

Rajasthan News: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राजस्थान हाईकोर्ट के प्लेटिनम जुबली सेमिनार को किया संबोधित

जोधपुरJul 28, 2024 / 10:26 am

Rakesh Mishra

Rajasthan News: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला शनिवार को जोधपुर पहुंचे। राजस्थान हाईकोर्ट के प्लेटिनम जुबली सेमिनार में जजों और वकीलों से खचाखच भरे सभागार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की न्यायिक यात्रा का अंतिम पड़ाव जब होगा, जब देश के अंतिम व्यक्ति को सुलभ व त्वरित न्याय मिल सकेगा। गरीब कोर्ट के फैसले को पढ़ और समझ सकेगा। सचे मायनों में यह बड़ा इनोवेशन होगा।
जोधपुर में बिरला ने जजों से अदालतों में लगे मुकदमों का अम्बार तेजी से निपटाने का आग्रह किया। उन्होंने इसका उपाय भी बताया। बिरला बोले कि यदि जज सबूतों को अपनी नजर से परख लें, समझ लें और देख लें। इसके बाद मन में भगवान को साक्षी मानकर फैसला देवें तो इसके परिणाम सामने आएंगे। हालांकि न्याय में गलती तो हो सकती है। त्वरित न्याय के लिए उन्होंने बार व बेंच को परस्पर संवाद करने की सीख दी। उन्होंने न्यायालयों में लंबित मुकदमों के निपटान और न्याय व्यवस्था की खामियों को दूर करने के लिए नए इनोवेशन और नई टेक्नॉलजी के अधिकतम उपयोग पर बल दिया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि राजस्थान उच्च न्यायालय में हो रहे नवाचारों से देशभर में न्यायिक उपक्रमों को प्रेरणा और दिशा मिलेगी।

इज ऑफ जस्टिस की कोर्ट की बड़ी भूमिका

पिछले एक दशक में सरकार ने ‘इज ऑफ लिविंग’ के लिए अनगिनत कार्य किए हैं। उन्होंने आगे कहा कि आम जनमानस के जीवन को आसान, सरल और सुगम बनाने के लिए हर स्तर पर प्रयास हुए हैं। उन्होंने इज ऑफ जस्टिस को इसी दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास बताया और कहा कि इस दिशा में न्यायपालिका की बड़ी भूमिका है। प्रभावी न्याय प्रणाली को विकसित भारत के संकल्प का एक महत्वपूर्ण अंग बताते हुए बिरला ने कहा कि सरल, सुलभ और त्वरित न्याय इसके तीन प्रमुख स्तंभ है और सभी हितधारकों को इस दिशा में प्रभावी भूमिका निभानी पड़ेगी।

75 साल में लोकतंत्र सशक्त हुआ

बिरला ने कहा कि भारत का लोकतंत्र शासन के सभी अंगों के सामूहिक प्रयासों से 75 वर्षों की यात्रा में सशक्त हुआ है। उन्होंने याद दिलाया कि संविधान निर्माताओं ने राज्य के तीनो अंगों- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच दायित्वों और कार्यों का बंटवारा किया है, ताकि तीनो अंग साथ-साथ चलते हुए स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से कार्य करें। उन्होंने विचार व्यक्त किया कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका, तीनो अंगों द्वारा, प्रौद्योगिकी के उपयोग से जनता के जीवन को सहज, सरल और सुगम बनाया जा सकता है।

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