scriptLok Sabha Election 2024: वैभव गहलोत और लुंबाराम तो बस चेहरे, असली मुकाबला किसके बीच, पढ़ें ये ग्राउंड रिपोर्ट | Lok Sabha Election 2024: Contest between Vaibhav Gehlot and Lumbaram Choudhary on Jalore-Sirohi Lok Sabha seat | Patrika News
जोधपुर

Lok Sabha Election 2024: वैभव गहलोत और लुंबाराम तो बस चेहरे, असली मुकाबला किसके बीच, पढ़ें ये ग्राउंड रिपोर्ट

Rajasthan Chunav 2024 : भाजपा के लुंबाराम चौधरी अपनी साधारण कार्यकर्ता की छवि व भाजपा के परम्परागत वोट बैंक के सहारे मैदान में ताल ठोक रहे हैं तो दूसरी ओर वैभव को जिताने के लिए पूर्व सीएम गहलोत खुद और उनकी पत्नी सुनीता गहलोत, पुत्रवधू हिमांशी व पौत्री तक फील्ड में हैं।

जोधपुरApr 24, 2024 / 09:34 am

Rakesh Mishra

अविनाश केवलिया
Rajasthan Chunav 2024 : देश में होने वाले दूसरे चरण के चुनाव में एक महत्वपूर्ण सीट जालोर-सिरोही है। सियासी पंडितों की नजर इस सीट पर इसलिए भी है, क्योंकि पिछला चुनाव जोधपुर से हार चुके वैभव गहलोत इस बार जालोर-सिरोही सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वैभव पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र हैं और गहलोत परिवार ने यहां पूरी ताकत भी लगा रखी है। भाजपा ने देवजी पटेल का टिकट काट कर लुंबाराम को अपना प्रत्याशी बनाया है। देवजी पटेल सांचौर से विधानसभा का चुनाव हार गए थे। मुकाबला रोचक है, इसी रोचकता को समझने के लिए जब जोधपुर से दूसरी बार इस क्षेत्र में पहुंचा तो माहौल काफी कुछ बदल चुका था। इस बार शिवगंज-सिरोही के रास्ते इस क्षेत्र में प्रवेश किया।
भाजपा ने मोदी की गारंटी के नाम का सहारा ले रखा है तो कांग्रेस तरक्की एक्सप्रेस की टेग लाइन लेकर फील्ड में है। भाजपा के लुंबाराम चौधरी अपनी साधारण कार्यकर्ता की छवि व भाजपा के परम्परागत वोट बैंक के सहारे मैदान में ताल ठोक रहे हैं तो दूसरी ओर वैभव को जिताने के लिए पूर्व सीएम गहलोत खुद और उनकी पत्नी सुनीता गहलोत, पुत्रवधू हिमांशी व पौत्री तक फील्ड में हैं। सिरोही के बस स्टैंड के सामने मिले कपूराराम माली बताते हैं कि यहां कोई उद्योग नहीं है। रतनसिंह और बाबू खां ने कहा कि रेल कनेक्टिविटी नहीं है। प्रदीप सिंह व नाथूसिंह बताते हैं कि आदिवासी क्षेत्रों में आज भी सड़कों के अलावा आधारभूत सुविधाओं की कमी है। रुझान किसका लग रहा है, यह पूछने पर लोग मौन हैं और कहते हैं कि सब पत्ते अंतिम समय में ही खुलेंगे।

20 साल का सूखा तोड़ने की चुनौती

कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती 20 साल का सूखा तोड़ने की है। 1999 में अंतिम बार रिजर्व सीट पर बूटा सिंह जीते थे। इस बार यहां आठ विधानसभा सीटों में से तीन पर कांग्रेस के विधायक हैं। दोनों ही पार्टियों ने भीनमाल को इस सीट का सियासी केन्द्र बना दिया है। प्रियंका गांधी ने यहां ताकत दिखाई तो पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी यहीं से जोश भरा है। इसीलिए भीनमाल की सियासी हवा परखी। जालोर रोड पर मिले हापूराम सुंदेशा बताते हैं कि पीने के पानी के लिए बीते सालों में कोई प्रयास नहीं हुए।

अंतिम ओवर में ताकत दिखाएगी भाजपा

आबूरोड में ज्यूस की दुकान चलाने वाले विक्रमसिंह ने बताया कि खुद अशोक गहलोत व वैभव दो से तीन बार यहां आ चुके हैं। भाजपा की रफ्तार थोड़ी धीमी है। सुरेश रावल बताते हैं कि भले ही कितनी शुरुआत क्यों न हो भाजपा अंतिम ओवर में ही ताकत दिखाने के लिए मशहूर है।

वो मुद्दे जिन पर जनता मुखर है

  • सिरोही को रेल कनेक्टिविटी
  • भीनमाल और सांचौर में पेयजल
  • जालोर में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्यटन विकास
  • सिरोही में औद्योगिक विकास
  • रेवदर-रानीवाड़ा जैसे कस्बों में चिकित्सा सुविधाओं का विकास
  • आबू-पिंडवाड़ा के आदिवासी क्षेत्रों का विकास
  • दक्षिण भारत के लिए सीधी ट्रेनों की मांग
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