जून 2019 में बाड़मेर में अप्रत्याशित मौसम रहा। 14 दिन तक बरसाती बादल बने रहने से टिड्डी ने अण्डे दे दिए। 24 जून को दो घंटों में 44.5 मिमी पानी बरसा। जुलाई में देरी से बारिश हुई लेकिन एक साथ पानी गिरने से मिट्टी नम हो गई। गर्मी का सामना कर रहे टिड्डी हॉपर के लिए यह जीवनदान था। बारिश के कारण रेगिस्तानी वनस्पतियां जैसे सेवन घास और सफेद धामन खूब हुई, जिस पर टिड्डी ने मुंह साफ किया। टिड्डियां आमतौर पर नवंबर तक भारत छोड़ देती हैं। लेकिन इस बार नवम्बर में भी नौ दिनों तक बरसाती मौसम रहा।
ईरान के चाबहार बंदरगाह के पास सामान्य बरसात होती है लेकिन वर्तमान में वहां भारी बारिश हो रही है जिससे टिड्डी अण्डे दे रही है। यह टिड्डी अप्रेल-मई में भारत-पाकिस्तान में आएगी।
वर्ष 2019 में जलवायु में बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है। गर्मी, सर्दी व बरसात के पैटर्न में बदलाव है।
-डॉ. डीवी सिंह, वैज्ञानिक, काजरी जोधपुर सर्दी में नहीं रहती टिड्डी
टिड्डी नवंबर महीने में भारत से अफ्रीकी देशों में लौट जाती है लेकिन इस बार मौसम में बदलाव के कारण टिड्डी ठहर गई।
-डॉ. केएल गुर्जर, उप निदेशक, टिड्डी चेतावनी संगठन जोधपुर