मेले में राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित कई इलाकों से विश्नोई समाज के लोग अपने पूर्वजों की याद में इकट्ठे हुए। मेले में गहनों से लकदक समाज की महिलाएं मंगल गीत गाया और पुरुष भी अपनी पारंपरिक वेशभूषा सफेद कपड़ों में शांति पाठ किया। विश्नोई समाज के साधु-संतों के सान्निध्य में राष्ट्रीय खेजड़ली राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान व अखिल भारतीय जीव रक्षा विश्नोई सभा के संयुक्त तत्वावधान में रात्रि जागरण हुआ। सुबह ८ बजे मुकाम पीठाधीश्वर स्वामी रामानंद आचार्य, जाजीवाल धोरा के धर्मगुरु स्वामी भागीरथदास आचार्य, खेजड़ली महंत शंकरदास, रुड़कली महंत शिवदास शास्त्री, फिटकासनी महंत रामनारायणदास, धवा महंत लालदास के सान्निध्य में १२० शब्दों की शब्दवाणी व वैदिक मंत्रोच्चार से हवन किया गया।
३६३ शहीदों को श्रद्धांजलि गुरु जंभेश्वर वन्यजीव सेवा व पर्यावरण विकास संस्थान विश्नोई कमांडो फोर्स व पर्यावरणप्रेमियों ने बुधवार को खेजड़ली शहीदों की याद में नई सड़क चौराहे पर ३६३ दीपक जला कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर प्रदेशाध्यक्ष पुखराज खेड़ी, किशन, बाबू भाई, श्रीराम सोऊ, सुभाष जांणी व इन्द्रजीत गीला सहित कई लोग मौजूद थे।