डीएमटी एक आनुवंशिक बीमारी है जो मां के ***** गुणसूत्र एक्स में विकृति के कारण लडक़ों में पैदा होती है। लड़कियां वाहक होती है। हर 3500 में से एक लडक़े में यह बीमारी होती है। इसमें मांसपेशियों के कार्य करने के लिए आवश्यक प्रोटीन डिस्ट्रोफिन नहीं बनता है। मांसपशियों के कार्य करने के लिए पचास से अधिक प्रोटीन होते हैं लेकिन डिस्ट्रोफिन की कमी के कारण बच्चा चलते-चलते गिरने-पडऩे लगता है। वह खुद को संभाल नहीं पाता है। डिस्ट्रोफिन प्रोटीन मस्तिष्क व ह्रदय में भी होता है। एेसे में डीएमटी के 30 प्रतिशत बच्चों में मंदबुद्धि, ऑटिज्म जैसी समस्याएं भी आती है। जब बच्चा 18 से २० साल होता है तब ह्रदय की मांसपेशियों के काम करना बंद करने पर कार्डियक अरेस्ट से उसकी मृत्यु हो जाती है। पूरी दुनिया यह बीमारी अभी लाइलाज है।
– बच्चे का 2-3 साल विकास ठीक रहता है। उसके बाद उसको सीढ़ी चढऩे-ऊंचाई पर चढऩे में दिक्कत होती है।
– नीचे पालथी मारकर वापस बगैर सहारे के खड़ा नहीं हो सकता।
– इंडियन स्टाइल के टॉयलेट में बैठ नहीं सकता।
– ४-५ साल का होने पर बच्चा चलते-चलते गिरने लगता है क्योंकि मांसेपशियों में शक्ति नहीं रहती है।
एम्स जोधपुर में डीएमटी के २०० से अधिक रोगी रजिस्टर्ड है। महीने में एक यो दो बच्चा डीएसटी से ग्रसित आता है। फिलहाल बच्चों को स्टीरॉइड्स देकर उनकी बीमारी को कुछ साल के लिए टालने की ही व्यवस्था है।
प्रो सुरजीत घोष, प्रभारी, डीएसटी अनुसंधान केंद्र आइआइटी जोधपुर