जोधपुर

ससुराल में चंदे से जला दिया इस जंवाई राजा को,जोधपुर के राजपरिवार ने दिया सबसे बड़ा चंदा..

असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दशहरा पूरे भारतवर्ष में सदियों से सर्वत्र मनाया जाता है…

जोधपुरSep 30, 2017 / 06:40 pm

Harshwardhan bhati

history of ravan dahan

पूर्णिमा बोहरा.असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दशहरा पूरे भारतवर्ष में सदियों से सर्वत्र मनाया जाता है, लेकिन खुद रावण के ससुराल माने जाने वाले जोधपुर में जंवाई राजा दशानन को दहन करने के लिए जोधपुरवासियों के घर घर जाकर चंदा जमा करना पड़ा था। रियासत काल में शान से मनाए जाने वाला दशहरा उत्सव रियासतों के एकीकरण के बाद जैसे-तैसे दो तीन साल तक मनाया गया लेकिन १९५२ में घाटे की बजट वाली राज्य सरकार ने दशहरा महोत्सव के लिए हाथ खड़े कर दिए। एेसे में जोधपुर के प्रबुद्ध नागरिकों ने गिरदीकोट में सार्वजनिक सभा बुलाई सभा में राष्ट्रीय पर्व के प्रति सरकार के व्यवहार की निंदा करते हुए सभा में जोधपुर के नागरिकों से आर्थिक साहयता के लिए निवेदन किया और उम्मेद भवन से लेकर आमजन से चंदा इकठ्ठा कर दशहरा उत्सव मनाया।

नहीं सुनी तो खुद ही बना दी समिति

१९५२ की दशहरा महोत्सव समिति की रिपोर्ट के अनुसार दशहरा उत्सव मनाने के लिए जोधपुर के तत्कालीन विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से जयपुर चीफ मिनिस्टर व अन्य उच्च अधिकारियों को तार भेजे गए लेकिन जवाब नहीं आया। आक्रोशित लोगों ने शहर स्तर पर दशहरा उत्सव समिति का गठन किया जिसमें तत्कालीन पूर्व महाराजा हनुवंत सिंह, कप्तान श्री कृष्ण, डॉ. शिवनाथचंद, देवराज बोहरा एडवोकेट, डॉक्टर खेतलखानी, एमएलए संतोष सिंह कच्छवाह, पारसमल खींवसरा, गणेशीलाल रंगा, केदारदास जैसलमेरिया, पन्नालाल पडि़हार, सुखराज पुरोहित, तुलसीराम गांधी, देवकिशन आसोपा, दाऊदास सारड़ा, ठाकुर आईदानसिंह, इशकलाल जौहरी, रामनारायण आर्य, नथमल सारड़ा, रामगोपाल कामदार, मदनगोपाल काबरा, लक्ष्मीनारायण फोफलिया को सदस्य मनोनीत किया गया। समिति के मुख्य समन्वयक मदन गोपाल काबरा व रामगोपाल कामदार नियुक्त हुए व कोष का कार्य नथमल सारड़ा को सौंपा गया जिन्होंने नागरिकों से चंदा एकत्र किया।
 

कुल २९१७ रुपए का मिला था चंदा, खर्च हुए २७१२
सबसे पहले पूर्व राजपरिवार की ओर से एक हजार का चंदा दिया गया और दूसरी सबसे बड़ी राशि बुलियन एक्सचेंज से ३०० रुपए, धानमंडी से १००, शाहपुरा सुनारों के मोहल्ले से ८९ सहित कुल २९१७ रूपए प्राप्त हुए। इनमें १८ रुपए वे भी शामिल है जो भगवान रामचंद्र के चित्र पर रावण के चबूतरे पर शहरवासियों ने भेंट चढ़ाया था। यह राशि राज व्यास देवराज ने कोषाध्यक्ष के पास जमा करा दी थी। कुल २९१७ रुपए दो आने में से २७१२ रूपए पौने तीन आने खर्च हुए व दो सौ साढे़ चार आने बाकी बच गए। इंजीनियर ने दी दशानन पुतला बनाने की तकनीकदशहरा उत्सव समिति ने एडवोकेट श्यामलाल दवे को मुख्य सचिव से मिलने जयपुर भेजा ताकि चंदे से एकत्र राशी राज्य सरकार को देकर सरकार की ओर से ही उत्सव मनाया जा सके । लेकिन इस मामले में भी निराशा हाथ लगी। समिति ने बिजली घर से बात की वहां रकम एडवांस मिली तो ठेके के रूप में कार्य शुरू हुआ। बिजली घर के एक्जीक्युटिव इंजीनियर मुकुन्दलाल राय ने रावण के पुतले के निर्माण की पेचदगियों को सुलझाते हुए अपने स्तर पर कारीगरो से पुतले का निर्माण करवाया। उस समय जोधपुर के डीवीजन कमीश्नर ठाकर दौलतसिंह थे उन्होंने व्यक्तिगत रूप से इस जन उत्सव को सफल बनाने में सहयोग दिया।

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