229 साल प्राचीन है जोधपुर का प्रख्यात कुंजबिहारीजी का मंदिर, धूमधाम से मनाया जाता है तीज का त्यौहार पहले तो राव गांगा ने मूर्ति को मेहरानगढ़ में रखवाया। कुछ समय बाद में जूनी मंडी में विशाल मंदिर का निर्माण करवाने के बाद उसमें मूर्ति की प्रतिष्ठा करवा दी। गांगा की ओर से निर्मित श्याम जी का मंदिर ही बाद में गंगश्यामजी का मंदिर कहलाया। वैष्णव परंपरा के अनुसार मंदिर में कुल छह बार आरती होती है जिनमें मंगला, शृंगार, राजभोग, उत्थापन, संध्या और शयन आरती प्रमुख है। कलात्मक दृष्टि से मंदिर अत्यंत सुंदर तथा शहर के मध्य स्थित होने के कारण श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
अनोखा किस्सा: भूत को कुश्ती में हरा ठाकुर ने किया था वश में, फिर जोधपुर में बनवाई थी बावड़ी और महल देवस्थान विभाग प्रबंधित एवं नियंत्रित आत्म निर्भर श्रेणी वाले मंदिर में प्रतिवर्ष जन्माष्टमी की रात्रि मेले और नृसिंह चतुर्दशी को मलूके मेले व तथा रंगपंचमी को फूल डोल उत्सव का आयोजन होता है। महाराजा जसवंतसिंह प्रथम की आकस्मिक मृत्यु के बाद औरंगजेब के सैनिकों ने गंगश्यामजी मंदिर को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया था। महाराजा अजीतसिंह जोधपुर के शासक बने तब गंगश्यामजी मंदिर का जीर्णोद्धार किया। इसी तरह जोधपुर महाराजा विजयसिंह ने 1753 में और महाराजा उम्मेदसिंह ने 1929 में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।