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जोधपुर

Dussehra 2024: राजस्थान में यहां है रावण का ससुराल! हुई थी शादी, बना है मंदिर, दशहरे पर मनाया जाता है शोक

Dussehra 2024: दंत कथाओं के अनुसार रावण की पत्नी मंदोदरी मंडोर की राजकुमारी थी और इसी स्थान पर उसका विवाह हुआ था।

जोधपुरOct 12, 2024 / 10:19 am

Rakesh Mishra

Ravan Temple in Jodhpur
Dussehra 2024: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा आज धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। राजस्थान सहित देश की कई जगहों पर आज रावण और उसके परिजनों के पुतलों का दहन किया जाएगा। इस दौरान भव्य आतिशबाजी भी होगी, लेकिन राजस्थान में एक जगह ऐसी भी है, जहां दशहरे के दिन शोक मनाया जाता है। खासबात तो यह है कि इस जगह को रावण का ससुराल भी कहा जाता है, यानि कि रावण ने यहां मंदोदरी संग फेरे लिए थे। दरअसल ये जगह राजस्थान के जोधपुर में स्थित है, जिसे मंडोर कहा जाता है।

मंडोर की राजकुमारी थी मंदोदरी!

दंत कथाओं के अनुसार रावण की पत्नी मंदोदरी मंडोर की राजकुमारी थी और इसी स्थान पर उसका विवाह हुआ था। हालांकि इस बात का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिलता है। बता दें कि मंडोर का पुराना नाम मांडव्यपुर या फिर मांडवपुर था। उस वक्त यह मारवाड़ की राजधानी हुआ करती थी, लेकिन राव जोधा को यह जगह (मंडोर) असुरक्षित लगने लगी तो उन्होंने चिड़िया कूट पहाड़ी पर एक विशालकाल किले का निर्माण कराया, जिसका नाम रखा मेहरानगढ़ और नगर का नाम हुआ जोधपुर। वहीं जोधपुर में मंदोदरी और रावण से जुड़ा स्थल रावण की चवरी पर्यटन विभाग के अधीन है। फिलहाल मंडोर उद्यान में देवताओं की साल, जनाना महल, एक थंबा महल जोधपुर और मारवाड़ के महाराजाओं के देवल और चौथी शताब्दी का एक प्राचीन किला भी है।

रावण की होती है पूजा

वहीं दूसरी तरफ विजयदशमी के दिन जोधपुर में श्रीमाली ब्राह्मण समाज के दवे गोधा गोत्र परिवार की ओर से शोक मनाया जाता है। जोधपुर में ही किला रोड स्थित अमरनाथ महादेव मंदिर प्रांगण में रावण का मंदिर भी बनाया गया है, जहां उसकी पूजा होती है। दशहरे के दिन मंदिर प्रांगण में रावण की मूर्ति का अभिषेक व विधि विधान से रावण की पूजा की जाती है। शाम को रावण दहन के बाद दवे गोधा वंशज के परिवार स्नान कर नूतन यज्ञोपवीत धारण करते हैं।
महादेव अमरनाथ मंदिर के पं कमलेशकुमार दवे ने बताया कि रावण दवे गोधा गोत्र से था इसलिए रावण दहन के समय आज भी इनके गोत्र से जुड़े परिवार रावण दहन नहीं देखते और शोक मनाते है। रावण की मूर्ति के पास मंदोदरी का मंदिर है, इस दौरान उसकी भी पूजा की जाती है। दवे ने बताया कि मंदिर में वर्ष 2008 में विधि विधान से रावण की मूर्ति स्थापित की गई थी। तब से आज तक हर विजयदशमी को रावण की पूजा की जाती है।

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