उत्तर- राजनीतिक संभावनाओं का क्षेत्र है, कई कयास लगाए गए। मुझसे कई बार यह सवाल पूछा गया कि कहां से चुनाव लड़ रहे हैं, अब स्थिति क्लीयर हो गई है। मेरा उत्तर पहले भी यही था, अब भी यही है। भाजपा में कौन किस भूमिका में काम करेगा यह पार्लियामेंट्री बोर्ड व वरिष्ठ जनों पर निर्भर करेगा। व्यक्ति अपना दायित्व तय नहीं करेगा, मैं जब छात्रसंघ का अध्यक्ष चुना गया और जब कार्यकाल खत्म हुआ तो मेरे मेंटर्स ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्र में जाकर काम करना है। 21 साल तक उस क्षेत्र में काम किया।
उत्तर- मैं इस बात को सिरे से नकारता हूं कि कि दावेदार हूं। क्योंकि मैंने सपने में भी यह नहीं सोचा कि दावेदारी करूंगा। यह तय करना व्यक्ति का काम ही नहीं है। किसकी क्या भूमिका रहेगी। किसको कौनसा किरदार निभाना है। यह काम पार्टी का नेतृत्व तय करता है। हमारा ससंदीय बोर्ड तय करता है।
उत्तर- 2016 में वसुंधरा राजे की सरकार में एक नहर परियोजना बनाई जिसमें राजस्थान व मध्यप्रदेश के बीच जो पानी वितरण का समझौता है। उसके आधार पर वेपकोस से एक डीपीआर बनाई गई। 2017 में सेंट्रल वाटर कमीशन को भेजा गया। एमपी सरकार ने इस पर आपत्ति जताई। सीएम अशोक गहलोत ने एमपी सीएम कमलनाथ को व मुझे भी एक चिट्ठी लिखी। पुरानी डीपीआर पर काम करने की अनुमति मांगी। कांग्रेस की एमपी सरकार ने इसको गलत ठहराया। इसके बाद सीएम गहलोत ने इसे राजनीतिक हथियार बना लिया और कई टिप्पणियां शुरू कर दी। जो पूर्णतय: निराधार है। राज्य सरकार पूरी तरह राजनीति से प्रेरित होकर काम कर रही है। उसे जनता के हितों का खयाल नहीं है। सही मायने में तो इस मामले में वह किसानों की गुनाहगार है।
उत्तर- कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का राग अलापते रहते हैं। ईआरसीपी पीकेसी का नया लिंक हमने बनाया है, 40 हजार करोड़ की लागत है, 4 हजार एमसीएम पानी मिलेगा। इस पर बात की तो सीएम ने कहा कि हम अपने खर्च से काम करवाएंगे। वेपकोस ने फिर से डीपीआर बनाई। अब मामला इंटर स्टेट रिवर का है तो एमपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सीएम ने अपने बजट में सिर्फ नवनेरा-ईसदरा-गालवा-बिसलपुर में एक कम्पोनेट बनाने की तैयारी शुरू की, जिसकी लागत 15 हजार करोड़ रुपए रखी गई। उसमें राजस्थान को सिर्फ 521 एमसीएम पानी ही मिलेगा। उसमें एन्वायरमेंट क्लीयरेंस नहीं ली। इंटरलिकेज ऑफ रिवर का प्राजेक्ट है, इसलिए 90 प्रतिशत बजट केन्द्र सरकार देगी। जयपुर, अजमेर व टोंक सिर्फ तीन जिलों को लाभ मिलेगा। बाकि 10 जिलों के 3 करोड़ लोगों के प्यासे कंठों पर व किसानों के साथ राजनीति करने का पाप कर रहे हैं।
उत्तर- हम अलग-अलग विचारधारा से काम करते हैं। एक शहर का निवासी होने के नाते समान उद्देश्य के साथ भी काम करना पड़ता है। पहले इतनी दूरियां नहीं थीं, लेकिन लोकसभा चुनाव में जोधपुर की जनता ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए उनके पुत्र वैभव गहलोत को नकार दिया। उन्होंने 23 दिन में 17 दिन-रात जोधपुर में बिताई। 100 से ज्यादा मीटिंग की फिर भी लाखों मतों से जनता ने नकार दिया, संभवत: उनको इससे ठेस पहुंच गई। मैं उनके दल में भी देखता हूं कि जो व्यक्ति जनता से जुड़ कर ऊपर आ रहा है, वह उनको मंजूर नहीं है।
प्रश्न- चुनावों से पहले कांग्रेस नेताओं के यहां ईडी कार्रवाई कर रही है। इस पर क्या कहेंगे?
उत्तर- जो भारत की संविधानिक व कानून की व्यवस्था है, उसमें ईडी किसी भी राज्य में तब जाती है जब उस राज्य में कोई मुकदमा दर्ज हो व कोई बड़ा धन का लेनदेन हो। राजस्थान में 18 बार पेपर लीक हुए। कोई कार्रवाई नहीं हुई। एक आरपीएससी का सदस्य जेल गया और एक राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त नेता पकड़ा गया। इसके बाद ईडी ने अपने स्तर पर जांच की। अब कार्रवाई करने के लिए क्या इलेक्शन निकल जाने का इंतजार करना चाहिए था। सरगना को राजस्थान के बाहर से पकड़ा। जल जीवन मिशन में घोटाला हुआ, हमने कई बार चिट्ठी लिखी। एक भी चिटृठी का जवाब नहीं दिया। लाखों लोगों के साथ पेपर लीक होने से हुए अन्याय के लिए क्या हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें।
प्रश्न- भाजपा कितनी सीटें जीतेगी? अगर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती है तो क्या आप सीएम के दावेदार होंगे?
उत्तर- मैं सीटों की गणित पर नहीं जाता, लेकिन प्रचंड बहुमत से सरकार बना रहे हैं। मैंने पहले भी कहा मैं ऐसा सपना नहीं देखता, न इतना आगे की देख कर राजनीति करता हूं। वर्तमान में जीने वाला व्यक्ति हूं। मुझे आज जो जिम्मेदारी मिली है उसे ईमानदारी से निभा रहा हूं।