गांधीवादी तरीके से की थी भूख हड़ताल
1942 में जब देश में आजादी की लड़ाई आखिरी मोड़ पर थी। तब मारवाड़ में जयनारायण व्यास के नेतृत्व में जन आंदोलन चल रहा था। व्यास के नेतृत्व में चलने वाले इस आंदोलन में बालमुकुंद बिस्सा ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। बढ़ते आंदोलन को दबाने के लिए अंग्रेज सरकार ने 9 जून 1942 को ‘भारत रक्षा कानून’ के तहत जेल में डाल दिया। वे लंबे समय तक जोधपुर की जेल में बंद रहे। जेल में रहते हुए उन्होंने कैदियों के अधिकारों की लड़ाई भी लड़ी। कैदियों को मिलने वाले खराब भोजन के खिलाफ जेल में ही उन्होंने गांधीवादी तरीके से भूख हड़ताल शुरु कर दी।
34 साल की उम्र में हो हो गया निधन
बिस्सा जून के महीने में गिरफ्तार हुए थे। जिस वक्त राजस्थान में भीषण गर्मी पड़ती है। भीषण गर्मी के बीच भूख हड़ताल की वजह से उनका स्वास्थ्य खराब होने लगा। ज्यादा स्वास्थ्य खराब होने की वजह से उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया। ईलाज के दौरान ही बिंदल अस्पताल में उनकी मौत हो गई। देश की आजादी की लड़ाई लड़ते हुए मात्र 34 साल की उम्र में ही 1942 में उनका निधन हो गया था।