जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय से सम्बद्ध एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज में शिक्षकों, तकनीकी कर्मचारियों की कमी, प्रयोगशाला में उपकरणों की कमी, पुस्तकालय की लचर व्यवस्था सहित कई खामियों को लेकर इस साल अप्रेल में एआईसीटीई ने कॉलेज में शैक्षणिक सत्र 2018-19 को ‘नो एडमिशन’ घोषित कर दिया था। राज्य सरकार की ओर से एआइसीटीई में अंडरटेकिंग देने और एक साल में कमियां पूरी करने का शपथ पत्र दायर करने के बाद परिषद ने कॉलेज में प्रवेश की अनुमति दी थी। अब यह साल पूरा होने पर एआइसीटीई ने फिर से एमबीएम कॉलेज को पत्र लिखकर अपनी योग्यता साबित करने के लिए कहा था, जिस पर कॉलेज के डीन प्रो. एसके ओझा और प्रो. अनिल गुप्ता अपना प्रजेंटेशन लेकर दिल्ली पहुंचे।
कागजी प्रमाण व दस्तावेज सौंपे प्रो. ओझा और प्रो. गुप्ता ने बुधवार को करीब चार घण्टे तक एआइसीटीई दफ्तर में उनके द्वारा बताई गई कमियों के सुधारात्मक प्रयास के प्रमाण प्रस्तुत किए। कॉलेज ने इंश्योरेंस व सुरक्षा मानकों के सर्टिफिकेट, ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट व स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट, खुद की जमीन व इमारत के स्थायित्व का प्रमाण पत्र, इमारत की मरम्मत के दस्तावेज, प्रयोगशाला में खरीदे गए नए उपकरणों के बिल, पुराने उपकरणों की मरम्मत के कागज, पुस्तकालय में खरीदे गए नए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय जर्नल की पुस्तकों के बिल प्रस्तुत किए। कॉलेज की सुरक्षा को लेकर भी दस्तावेज सौंपे गए। कॉलेज में शिक्षकों व प्रयोगशाला तकनीशियन की कमी की जैसे-तैसे भरपाई का प्रयास किया।