अब यह कारवां 200 से अधिक लोगों का हो चुका है, जो घायल पशुओं की खबर पर भूखे-प्यासे दौड़ पड़ता है। युवाओं की यह टोली न केवल बेजुबान पशुओं का इलाज बल्कि स्वस्थ होने तक घर पर उनकी तीमारदारी भी करती है। उनकी टीम में दीपक भार्गव, मनोज पारीक, गोपाल सिंह, बलवीर मेघवाल, नितेश मीणा, ओमवीर सिंह अलग अलग क्षेत्रों में घायल पशुओं की सेवा करते हैं। हाईवे व हर गांव में उनकी टीम के मोबाइल नंबर चस्पा हैं।
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टीम खुद उठाती है इलाज का खर्च
अपना कर्म संस्था के अरविंद अग्रवाल ने बताया कि पशुओं के इलाज का खर्च पूरी टीम मिलकर उठाती है। अब तक वे करीब पांच लाख रुपए घायल पशुओं के इलाज पर खर्च कर चुके हैं। घायल पशुओं के इलाज के लिए डॉ. अनिल पूनियां, डॉ. राजेश मेघवाल, डॉ. नरेंद्र मीणा नि:शुल्क सेवाएं देते हैं, जबकि दवाइयों और वाहन आदि का खर्चा वे खुद उठाते हैं। आपसी सहयोग से एकत्रित की गई राशि घायल पशुओं के इलाज, दवा लाने व चारे पानी की व्यवस्था में खर्च की जाती है। उनके इस सराहनीय कार्य के लिए कई सामाजिक संस्थाओं ने उन्हें सम्मानित भी किया है।
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300 से अधिक पशुओं को दी है जिंदगी
अरविंद ने अपना कर्म नाम से टीम की शुरुआत 15 अगस्त 2020 को सोशल मीडिया पर एक ग्रुप बनाकर की थी। टीम में शुरुआत में 20 सदस्य ही थे, मगर आज 200 से अधिक युवा टीम में जुड़े हैं। टीम के सदस्यों ने आसपास के क्षेत्रों में 300 से अधिक बेसहारा पशुओं को जिंदगी दी है।