झुंझुनूं. भले ही राज्य सरकार दो साल की उलब्धियों के ढोल-नगाड़े बजाए। पर जनता को कागजों में विकास के अलावा जमीनी हकीकत पर ठेंगा ही मिला है। इसका ताजा उदाहरण देश को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी देने वाले झुंझुनूं को मिली स्पोट्र्सयूनिवर्सिटी का है। इसके लिए जमीन आवंटन हुए तीन साल हो गए हैं और कुलपति 21 महीने से बाकायदा वेतन उठा रहा।
जबकि यहां पर ना तो कुलपति का कोई कार्यालय खुला है और ना ही किसी को यह पता हैकि यूनिवर्सिटी के लिए नियुक्ति किए गए अधिकारी कहां पर हैं। कुलपति नवंबर 2013 से 80 हजार रुपए प्रति माह के हिसाब से वेतन उठा रहे हैं। हालांकि सरकार का मानना है कि कुलपति व विशेषाधिकारी के कार्यालय के लिए स्टाफ के पदों की स्वीकृति जारी कर दी गई है। इस तरह की स्थिति होने के चलते अब युवा इसे कागजी प्रयास मानते हुए नाखुश हैं।
अब तक क्या हुआ
वर्ष 2011 में कांग्रेस से तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में निजी जनसहभागिता मोड (पीपीपी) में प्रदेश के पहले खेल विश्वविद्यालय की घोषणा की थी। निजी फर्म ने सरकारी अनुदान प्रतिशत को लेकर मतभेद होने पर अपने हाथ वापस खींच लिए थे। तब दिसंबर 2012 में सरकार ने सरकारी खेल विश्वविद्यालय की घोषणा की। जमीन आंवटित होने के बाद जुलाई 2013 में डॉ. शैलेन्द्रकुमार सिन्हा को प्रथम कुलपति नियुक्त किया गया, मगर वे नहीं आए। एक माह बाद फिर डॉ. एलएस राणावत को नया कुलपति बनाया गया। वे अब तक सिर्फ एक बार झुंझुनूं आए हैं जबकि वेतन 21 महीनों का उठा चुके हैं।
50.58 हैक्टेयर में बननी है यूनिवर्सिटी
प्रदेश के पहले खेल विश्वविद्यालय के लिए कुलोद कलां ग्राम पंचायत के राजस्व गांव दोरासर में 50.58 हैक्टेयर चारागाह भूमि आवंटित हो चुकी है। तत्कालीन सरकार ने जमीन आंवटन के बाद शिलान्यास कराने का भी प्रयास किया, मगर आचार संहिता लगने से टल गया। इसके बाद सत्ता बदल गई। नई सरकार ने आने के बाद खेल विश्वविद्यालय के लिए कुछ नहीं किया।
नहीं आए विशेषाधिकारी
सरकार ने अगस्त 2013 में परशुराम धानका को पहला विशेषाधिकारी (ओएसडी) नियुक्त किया। दस दिन बाद ही उनकी जगह किशोरकुमार को नया ओएसडी लगा दिया। वे कार्यभार ग्रहण करते उससे पहले ही उनका ट्रांसफर कर दिया गया। ऐसे में आज तक हमारे विश्वविद्यालय को ओएसडी ही नहीं मिला। इस बीच सरकार ने एडीएम को विशेषाधिकारी का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया। हाल ही में जाखड़ को नियुक्त कर रखा है सलाहकार राज्य सरकार ने एथलिट के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रामवतार जाखड़ को विवि का नया सलाहकार नियुक्ति किया था।
ले आउट प्लान है तैयार
खेल विश्वविद्यालय के लिए लेआउटप्लान तैयार किया जा चुका है। स्पोर्ट्स भवन की रूपरेखा बनाईजा चुकी है और पीडब्लूडी के अधिकारी इसका मौका मुआयना भी कर चुके हैं।
विधानसभा में उठा मुद्दा
नवलगढ़ विधायक डा.राजकुमार शर्माने लिखित सवाल के तौर पर विश्वविद्यालय के संचालन में हो रही देरी पर मुद्दा उठाया। इस पर खेल मंत्री गजेंद्रसिंह खींवसर ने कहा था कि इसके लिए वीसी की नियुक्ति की जा चुकी है। शीघ्र ही तेजी लाई जाएगी। लेकिन अभी तक बयानबाजी के अलावा कुछ नहीं हुआ।
इस विषय में उच्च शिक्षा मंत्री कालीचरण सर्राफ से मिल चुका हूं। उन्होंने खेल विश्विद्यालय शीघ्र ही शुरू करने की इच्छा जताई है। लेकिन यहां से एडीएम इसमें विशेषाधिकारी हैं। उन्होंने कोईप्रस्ताव बनाकर मंत्री को नहीं भेजा है। जिसके कारण से इसमें देरी हो रही है। अगर इसका प्रस्ताव बनाकर दे देंगे तो उच्च शिक्षा मंत्री सर्राफएकबार अस्थाईभवन में इसे शुरू करने की अनुमति दे देंगे। इनकी इच्छा हैकि शीघ्र ही विवि शुरू हो।
रामवतार जाखड़, सलाहकार खेल विश्वविद्यालय
खेल विश्वविद्यालय शुरू करने के मामले में मेरी एक डेढ़ महीने पहले खेल मंत्री गजेंद्रसिंह खींवसर से बात हुईथी। इस मामले में उनका रूख सकारात्मक था। केबिनेट के पास इसकी फाइल पड़ी है। जिसके अध्यक्ष गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया हैं। अगर झुंझुनूं सांसद व विधायक उनसे बात करें तो इसमें तेजी आ सकती है।
एलएस राणावत, कुलपति खेल विश्वविद्यालय
खेल विश्वविद्यालय के संचालन के लिए लगातार जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से संपर्क किया जा रहा है। हाल ही में कुलपति व सलाहकार से वार्ताहुई है, जिन्होंने इसके संचालन में तेजी लाने की बात कही है।
अर्जुनसिंह, सरपंच कुलोद कलां
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