अब तक यह जीत चुकी
चूरू जिले के राजगढ़ उपखंड के चांदगोठी गांव में जन्मी मंजू का बचपन कठिनाइयों से भरा रहा। शुरू में बिना कोच के उसे काफी परेशानी हुई। लेकिन उसने हार नहीं मानी। मेहनत जारी रखी। आखिर वर्ष 2005 में वह दिन भी आया, जब मंजू का चयन पहली बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए किया गया। मंजू ने अपने चयन को सही साबित किया। पहली ही बार में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। फिर तो उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अब तक वह दो दर्जन से अधिक पदक जीत चुकी।
पिता विजय सिंह गांव चांदगोठी में चाय की थड़ी चलाते हैं। ससुराल पिलानी के लाडूंदा गांव में है।
एशियन गेम्स की हीरो
वर्ष 2014 में आयोजित एशियन गेम्स में मंजू ने कांस्य पदक जीतकर देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया। कोच व पति रमेश मान ने बताया कि श्रीगंगानगर में अप्रेल 2021 में आयोजित राज्य स्तरीय खेलों में मंजू ने 64.88 मीटर हैमर थ्रो कर नया रेकॉर्ड बनाया है। मंजू अभी इनकम टैक्स विभाग में निरीक्षक है।
मंजू बाला स्वामी ने कहा कि खेल में आगे बढऩे के लिए नियमित अभ्यास जरूरी है। कड़ी मेहनत की जाए तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं है।